संजीव जैन's Album: Wall Photos

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महीनों से अधूरी पड़ी ये किताब, सुबह से चाय के कई कप खाली करता बैठा मै! आज इस युगपुरुष, वेदांत दर्शन के पुरोधा, मातृभूमि के उपासक, विरले कर्मयोगी, दरिद्र नारायण मानव सेवक, तूफानी हिन्दू साधु, करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्त्रोत व प्रेरणापुंज स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस पर पूरा कर मन हृदय मस्तिष्क में भर ही लिया।
स्वामी विवेकानंद जी ने भारत को व भारतत्व को कितना आत्मसात कर लिया था यह कविवर रविन्द्रनाथ टैगोर के इस कथन से समझा जा सकता है जिसमें उन्होनें कहा था कि – “यदि आप भारत को समझना चाहते हैं तो स्वामी विवेकानंद को संपूर्णतः पढ़ लीजिये”
लेकिन क्या देश का युवा इन्हें वाकयी पढ़ या समझ रहा है??
मै किस युवा को दूँ बधाई उन कुल ड्यूड ड्यूडनियो को जिन्हें गाल, बाल रंगाने से फुर्सत नही या समाज तोड़ते नव नवोदित युवा नेताओं को???
हाथ में मोबाइल और कंधे पर लैपटॉप लटकाए तेजी से अपने गंतव्य की और बढते ये नौजवान आज मानो आधुनिक युग के प्रतीक बन गए है, लेकिन यह भी ध्यान रखना होगा कि आधुनिकता का अर्थ कपड़ों, खानपान, उपयोग किए जा रहे उपकरणों, जीवनशैली में आए बदलाव और फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने भर से नहीं हैं, बल्कि आधुनिकता तो वैचारिक अधिष्ठान पर खड़ा एक बिम्ब है जो जीवन को निरन्तर गति, विस्तार व ऊर्जा प्रदान करता हैं न कि उसे जड़ बनाकर सीमित दायरे मेें कैद करता है। जीवन का अर्थ केवल खाओ, पीओ, मौज करो के दर्शन तक सीमित नहीं है। मनुष्य जीवन ईश्वर की एक अनुपम भेंट हैं। उसमें भी युवावस्था जीवन का स्वर्णिम अवसर उसे सब प्रकार से योग्य, सक्षम, गुणवान व सेवाव्रती बनाकर न केवल अपने वैयक्तिक उत्कर्ष में लगाना, बल्कि जिस परिवार, समाज व देश के लिए समर्पित व संकल्पबद्ध होकर जीवन जीना। हमें इस युवा शक्ति की सकारात्मक ऊर्जा का संतुलित उपयोग करना होगा।
विवेकानंद जी ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा था "उठो मेरे शेरो, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो, तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो, तुम तत्व नहीं हो, ना ही शरीर हो, तत्व तुम्हारा सेवक है तुम तत्व के सेवक नहीं हो।"
यदि इस देश के युवा विवेकानंद को पढ़ते, समझतें युवा ऊर्जा शक्ति का सकारात्मक संतुलन कर उपयोग करेगा तो विश्वगुरु ही नही बल्कि विश्वनिर्माता विश्वकर्मा के रूप में भी जाने जायेंगे।
हम युवाओं के आदर्श स्वामी विवेकानंद जी को शत शत नमन!...✍