#हज सब्सिडी ख़त्म होने का ख़बर जब अख़बार में पढ़ा, तो कुछ देर के लिए मन आशंकित हुआ, सोचने लगा अभी #तोगड़िया जी के आँसू का हिसाब हुआ नही और #हज़सब्सिडी ख़त्म का मुद्दा आ गया । लगने लगा राजनीति की रोटियाँ सेकने वाले लोग , कही हैदराबाद से हरिद्वार तक सड़कों पर उछल कूद ना मचाने लगे ।
मगर जिस तरह से हिंदुस्तान के “मुस्लिम”भाइयों ने सरकार के फ़ैसले का दिल खोल कर स्वागत किया, वो क़ाबिले तारीफ़ रहा। हालाँकि मेरे लिए आश्चर्य करने वाला भी था । उत्सुकता में कल बहुत दिन बाद TV एंकरो और इलेक्ट्रोनिक मीडिया की ख़बर , इस मुद्दे पर देखने का मन किया । पत्रकार कमाल खान जी की सारगर्भित रिपोर्ट ने , मुसलमान भाइयों के “स्वागत” करने का कारण स्पष्ट करता नज़र आया।
वही कुछ चैनलों के एंकर ,कुछ कथित हिंदू - मुस्लिम के ठेकेदार जिन्हें समाज में नही ,सिर्फ़ TV पर ही गला फाड़ते देखा जाता है , को बैठाकर हिंदू - मुस्लिम करवाकर TRP बटोरने का नाकाम कोशिस करते नज़र आये ।
देश की गिरती अर्थव्यवस्था (GDP) से उत्तपन्न बेरोज़गारी और किसानो का डीज़ल (62.65)और मध्यम वर्ग का पेट्रोल (73.28) कैसे हिंदू - मुस्लिम के फेर में ,मुख्य मुद्दे से ग़ायब हो गये , पता ही नही चला ।अब तो सरकारी चपरासी बनने को पी॰एच॰डी॰, एम॰ टेक वाले भी लाइन में है ।
हाल के चार दिन चमत्कारिक रहे , FDI का विरोध करने वालों को अब FDI में अच्छेदिन नज़र आने लगे और सौ प्रतिशत FDI सरकार जी के मन को भा गया, चार साल पहले पिछली सरकार को कटघरे में खड़े करने वाले लोग, जब से सलवार पहन के भागे आज तक देशहित में काला धन वापस माँगने नही आए ।
देश के न्यायपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल ,ख़ुद न्याय देने वालो ने खोल के रख दी ।जजों की चिट्ठी का मजमून, जज लोया की मौत का सवाल, ख़ास तरीके से बेंच के गठन के आरोप और प्रेस कांफ्रेंस का मुख्य मुद्दा, बहुत ही चालाकी से लिपापोति कर दिया गया, अब CJI साहब ख़ुद समझौता में लगे है। न्यायपालिका में जातिवाद और भ्रष्टाचार के आवाज़ को मुखर करने वाले, “जस्टिस कर्णन” का मानमर्दन कर, सामाजिक समरसता को धुलधूसरित करने वाले न्यायाधीश जी आज ख़ुद कटघरे में है ।
सब से चमत्कारित रहा “कट्टर हिन्दुत्व के प्रतीक और श्री राममंदिर आंदोलन के मुख्य अगुवा के अगवा हो जाने की ख़बर !”
अनहोनी की अफ़वाहों पर “तोगड़िया जी” ने ख़ुद विराम लगाया और आशुओं के सैलाब से ,अपने ही सरकार पर बरस पड़े ।ख़ैर ऊपर वाले का लाख लाख शुक्र मनाइये, देश में हिंदू - मुस्लिम होने से बच गया । कुछ अनहोनी होने पर ,आप कल्पना कर सकते है ,क्या हो जाता ? एक अनुत्तरित सवाल अभी भी है कि उन्हें ख़तरा किस से था?
#तोगड़िया जी का ग़ायब होना और अचानक से #हज़ सब्सिडी का मुद्दा आ जाना, #FDI , #GDP, न्यायपालिका और जस्टिस लोया जैसे तमाम मुद्दे नेपथ्य में चले गए ।
कोर्ट के दिशानिर्देश पर सरकार द्वारा #हज़सब्सिडी ख़त्म करने पर पत्रकार कमाल खान जी का तर्क काफ़ी है ,मेरे मित्र #Kyamuddin Haidarii और #Atmad Hasan Idrisii द्वारा सरकार के क़दम का स्वागत करने के लिए ।