एक सवाल जिम्मेदारों से?
देश में माहौल खुशनुमा हो गया ।लगता है पदमावती का पटाछेप हो गया,करणी सेना का दर्द भी शायद खत्म हो गया अब न ही कोई कोलाहल और न ही कोई शोर। लगता है सेना ने भी पदमावत देख ली या फिर यूँ कहे कि जिनको राजनीति करनी थी ,कर ली।
अब हम लोग कभी भी यह जानने का प्रयास नही करेंगे कि आखिर मामला क्या था? कौन सही था कौन गलत?
हम लोगों को यह लोग कभी कुछ बताएँगे भी नही क्यो?
अब बात तो यही है कि हमको जो मिला,हम शायद उसी के लायक है।
बाकी तो सब चलता ही है,
लेकिन सवाल तो बनता ही है।।
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