जब फूलन देवी के बारे में पहली बार पढ़ा था, तब उम्र मुश्किल से 9-10 साल रही होगी l तब सोचा कि कैसी औरत है जो डकैत बन गई और एक साथ 22 घरों के चिराग बुझा दिए, यह भी कोई तरीका होता है l उस समय लगता था कि गांधीगीरी से हर रास्ता का हल निकाल जाता है, देश में पुलिस है, कोर्ट है, सरकार है, अखबार है और जनता भी है l
आज फूलन देवी की हत्या के 10-12 साल बाद, फूलन देवी को समझ पाया हूँ l समझ पाया हूँ कि क्यूँ एक मजबूर औरत ने हथियार उठाया था l आज समझ में आ रही है लाचारी इस पूरे सिस्टम की l चंद लाइन समर्पित हैं हर महिला को ......
कब तक आस लगाओगी तुम,
बिक़े हुए अखबारों से,
कैसी रक्षा मांग रही हो
दुशासन से भरे दरबारों से।
जो स्वयं ही लज्जा हीन पड़े हैं
वे क्या लाज बचायेंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आयंगे।
#उन्नाव कांड #कठुआ कांड