"सरकारी अस्पताल में सब कुछ फ्री है...पर्चा दवायें जांचे भर्ती खाना बगैरह...यह बहुत अच्छी बात है | परन्तु इसके कुछ दुष्परिणाम भी देखने को मिल रहे है ओपीडी में जैसे->
डॉक्टर- हॉ बताइये क्या तकलीफ है ?
मरीज- जाँच करानी है
डॉक्टर- तकलीफ क्या है काहे की जॉच करानी है
मरीज - खून की
डॉक्टर -खून की कौन सी जॉच... खून की तो बहुत सी जॉच होती है
मरीज- जा तुम समझो... मुहल्ला मे एक चाचा ने कही थी .. सरकारी अस्पताल में जॉचें फ्री हो जाती है जाके करवा लो
डॉक्टर झुझलाकर कुछ रूटीन जॉचे लिख देता है
थोड़ी देर बाद मरीज वापिस
मरीज - एक खुजली को ट्यूब लिख देओ .. उधर बँट रहे थे एक हम को भी मिल जये
डॉक्टर बेमन से- लिख दिया और कुछ मरीज
गुटखा चबाते हुये -एक ताकत को सीरप और लिख दो
डॉक्टर- जाओ गुटखा थूक कर आओ कुछ नही लिखूंगा डॉक्टर मै हू कि तुम हो
मरीज - अरे तै को तो बोलबे की भी तमीज नहीं है कौन ने डाक्टर बना दओ. ..
ओपीडी के बाहर शोर होने लगता है...
डॉक्टर तो बदतमीजी कर रहै....
डॉक्टर तो मनमानी कर रहे ...
नेता जी को फोन लगाओ... पत्रकारों को बुलाओ...
थोड़ी देर में डॉक्टर के पिटने की आवाज ....
शोर शराबा....
डॉक्टर हड़ताल पर...
मीडिया ब्रेकिंग न्यूज ...
डॉक्टर ने की मरीज के साथ बदतमीजी...
परिजनों ने की शिकायत तो गैर जिम्मेदार चिकित्सक हड़ताल पर....
गरीब मरीजों का नहीं उपचार...
प्रशासन ने दी चेतावनी डॉक्टर नही लौटे काम पर तो होगी एस्मा के तहत कारवाही.....