★★★★★★ जाति ★★★★★★
असल में मनुष्यों में जातियां नहीं हो सकतीं जो लोग बायोलोजी पढ़ते हैं वे जानते होंगे कि जाति का क्या मतलब होता हैं ? जाति का सिर्फ एक मतलब होता है जाति का पता लगाने का उपाय क्या है ? हम बन्दर को और शेर को दो जातियां कहते हैं हम कुत्ते और बिल्ली को दो जातियां कहते हैं क्यों ? कारन हैं कुत्ते और बिल्ली मिलकर बच्चे पैदा नहीं कर सकते शेर और बन्दर मिलकर बच्चे पैदा नहीं कर सकते !
जाति का सिर्फ एक वैज्ञानिक अर्थ होता ही, जो लोग मिलकर बच्चे पैदा करते हैं, वे एक जाति के हैं जाति का और कोई अर्थ नहीं होता अंग्रेज और हिन्दू मिलकर बच्चे पैदा कर सकते हैं मुसलमान और ईसाई मिलकर बच्चे पैदा कर सकते हैं काले और गोरे, ब्राहमण और भंगी मिलकर बच्चे पैदा कर सकते हैं मनुष्यों की जाति एक है, दी नहीं ! जो मिलकर बच्चे पैदा करते हैं, उनकी जाति एक है, जाति का दो का कोई अर्थ ही नहीं होता है, दो का एक अर्थ होता है, कि उनके यन्त्र इतने भिन्न हैं कि वे मिलकर बच्चे पैदा नहीं कर सकते, बस इससे ज्यादा कोई मतलब नहीं होता हैं !
आदमी एक हैं, उसकी जाति एक हैं पुरानी नैतिकता आदमी को तोड़कर चलती थी नयी नैतिकता तोड़कर नहीं, जोड़कर चलेगी, और बड़े आश्चर्य की बात है, पुरानी नैतिकता के कारण आदमी कमजोर हुआ, बीमार हुआ, क्षीण हुआ, दीन हुआ सब तरह से उसका नुकसान हुआ अगर हम जगत को एक मानकर जियें - जीना ही पड़ेगा, क्योंकि जगत एक होता चला जा रहा है - तो मनुष्य ज्यादा समृद्ध होगा !
एक नयी नैतिकता और तरह से विकसित होगी, पुरानी नैतिकता लोकल थी, स्थानीय थी नयी नैतिकता जागतिक होगी, युनिवर्सल होगी पुरानी नैतिकता एक छोटे-छोटे घेरे में बंद थी नयी नैतिकता का कोई घेरा नहीं होगा पूरी मनुष्यता उसका विस्तार होगी पुरानी नैतिकता कहती थी तुम्हारी यह चमड़ी है - तुम्हारी काली, तुम्हारी गोरी, तुम अलग, तुम अलग, पुरानी नैतिकता कहती थी - तुम हिन्दू हो, तुम मुसलमान हो - तुम अलग, तुम अलग, नयी नैतिकता कहेगी मनुष्य-मनुष्य है, और कोई मनुष्य किसी से अलग नहीं है, और सब मनुष्य एक हैं !
Osho
(स्वर्ण पाखी था जो कभी और अब है भिखारी जगत का) "ओशो"