संजीव जैन's Album: Wall Photos

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देवरानी एवं जेठानी :

देवरानी और जेठानी में किसी बात पर जोरदार बहस हुई और दोनो में बात इतनी बढ़ गई कि दोनों ने एक दूसरे का मुँह तक न देखने की कसम खा ली और अपने-अपने कमरे में जा कर दरवाजा बंद कर लिया।

परंतु थोड़ी देर बाद जेठानी के कमरे के दरवाजे पर खट-खट हुई। जेठानी तनिक ऊँची आवाज में बोली कौन है, बाहर से आवाज आई दीदी मैं !
जेठानी ने जोर से दरवाजा खोला और बोली अभी तो बड़ी कसमें खा कर गई थी।
अब यहाँ क्यों आई हो ?
देवरानी ने कहा दीदी सोच कर तो वही गई थी, परंतु माँ की कही एक बात याद आ गई कि जब कभी किसी से कुछ कहा सुनी हो जाए तो उसकी अच्छाइयों को याद करो और मैंने भी वही किया !
मुझे इस वक्त आपका दिया हुआ प्यार ही याद आ रहा है,
आपने मेरा हर मुसीबत में साथ दिया है मुझसे सच्चे दिल से प्यार किया है ।
आपकी बातें याद कर करके मेरा मन भर आया है। मैं आप से नाराज हो कर नहीं रह सकती हूं। मुझे बहुत बुरा लग रहा है । लीजिए मैं आपके लिए चाय ले कर आई हूं।
बस फिर क्या था दोनों भाव विभोर हो गई । गुस्सा एकदम शांत हो गया और प्यार उमड़ पड़ा।
जेठानी ने देवरानी को गले लगा लिया और कहा बेटा तुम अभी बहुत छोटी हो तुम से गलती हो सकती हे, लेकिन मैं तौ तुमसे बहुत बड़ी हूँ ,मुझे ही बड़ा दिल रखना चाहिए था । इसलिए यह भूल मेरी ही है मुझे ही तुमसे प्यार से बात करनी चाहिए। तुम बहुत अच्छी हो । और अब वादा करो मुझसे कभी भी नाराज मत होना , अब क्या था दोनों की आंखों में प्यार की आंसू थे ।
और रोते रोते, एक दूसरे को समझा रही थी और चुप कर रही थी।
थोड़ी देर में दोनों शांत हुए और दोनों ने साथ बैठ कर चाय पी।

जीवन में क्रोध को क्रोध से नहीं जीता जा सकता, हां बोध से जरूर जीता जा सकता है।

अग्नि अग्नि से नहीं बुझती जल से बुझती है।

समझदार व्यक्ति बड़ी से बड़ी बिगड़ती स्थितियों को दो शब्द प्रेम के बोलकर संभाल लेते हैं।

हर स्थिति में संयम और बड़ा दिल रखना ही श्रेष्ठ है.........
आओ दुनिया की छोड़ो हम अपने दिल को बहुत विशाल और बहुत बड़ा बनाएं ।
क्रोध का त्याग करें और प्यार और प्रेम को जीवन में उतरने दे।
विचार करें! प्रेम के लिए जीवन कम पड़ रहा है,फिर क्यों हम अपना समय व्यर्थ विवादों में बर्बाद कर रहे हैं।