संजीव जैन's Album: Wall Photos

Photo 13,792 of 15,034 in Wall Photos

श्रम विभाग जरा गौर फरमायें ............
पढाई की जगह रोटी की जुगाड
0- पढाई की उम्र में सडक पर कबाड बीनना या होटलों पर काम करना , नजर अंदाज कर देते है अधिकारी
शिकोहाबाद। बालश्रम कानून लागू करके नन्हें -मुन्ने बच्चों को शिक्षित करने की योजना फलीभूत नहीं हो पा रही है। सर्वशिक्षा अभियान ,मिड-डे मील और छात्रवृत्ति जैसी योजनायें संचालित करके भी बालश्रम को नहीं रोका जा सका है। इसके पीछे कारण है कि योजनाओं में धांधली ,भ्रष्टाचार जिसके चलते बालश्रमिक लांभावित नहीं हो पाते और नन्हे-मुन्ने बच्चे अपने जीवन का मूल्य नहीं समझ पाते हैं। नन्हें -मुन्ने बच्चों के कोमल हाथ कापी -किताब और कलम पकडने के बजाय सख्त से सख्त काम करने को मजबूर है। यह तो सभी जानते हैं कि बच्चों को समान शिक्षा का अधिकार है। उन्हें बालश्रमिक के रूप में कार्य नहीं करना चाहिये। लेकिन सबाल उठता है कि आखिर कैसे रोका जाये यह बालश्रम ताकि संवर सके मासूम बचपन ।
शासन ,प्रशासन और शहर के हर नागरिक की यहाॅ -वहाॅ हर जगह नजर आ जाते हैं छोटेे-छोटे बालश्रमिक लेकिन उनके मासूम बचपन को संवारने के प्रयास नहीं किये जा रहे । मकान -दुकान को सफाई से लेकर होटल-ढावों तक ,वाहनों के स्टैण्डों पर चाय-पानी आदि बेचने से लेकर ,ईटो के भट्टोे पर ,बाइक -मोटर मैकेनिकों के यहाॅ के अलावा तमाम अन्य स्थानों पर लोगों की दुस्कार सहकर काम मे मगन 14 साल से कम उम्र के यह नन्हें -मुन्ने बच्चे चार पैसें की खातिर सबकुछ सहते नजर आ जाते हैं। आखिर इसके लिये दोषी कौन है? योजनाये संचालित है लेकिन क्रियान्वयन में घोटाने ,गलत तरीके से कराये जा रहे सर्वे और कागजो पर की जार खानापूर्ति । इन सबका परिणाम निकलता है कुपोषित युवा ,अशिक्षित समाज ,बढती बेरोजगारी और आपराधिक गतिविधियों में बढोत्तरी जो समाज के पिछडेपन और अविकसित होने का मुख्य कारण बनते हैं।