भव्य और दिव्य मेरा भारत
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भारत यानि हमारी वसुन्धरा के आर्यावर्त का वह भू-भाग जो तीन ओर से समुद्र से घिरा होने से समुद्र उसके चरण पखारता है और मस्तक पर बर्फ आच्छादित हिमालय पर्वत उसका किरीट बनकर उस भारत भूभाग के ललाट का सौन्दर्य बढ़ाता है।
हिन्द महासागर और अरब सागर की गहराईयां जहाँ इस भारत के भू-भाग की हजारों कि.मी. की सीमा को तीन तरफ से सुरक्षा प्रदान करती है वहीं चौथी और में हिमालय पर्वत की ऊँची पर्वत श्रेणियां रेगिस्तानी उष्ण हवाओं से भारत वर्ष को सुरक्षा प्रदान करती है।
हमारे देश को ईश्वर प्रदत्त प्रकृति ने ही इतनी सुरक्षा प्रदान कर दी है कि हम सब भारतीय बड़े चैन,सुकून और शांति से बेखौफ ओर निश्चित होकर अपने जीवन में सुख से गुजर बशर करते हैं।
प्राकृतिक रूप से देश में वन,उपवन,नदियाँ है,बहुमूल्य खनिज पदार्थ हैं,तीन मौसम भी है।
हमारे भारत में मानस की मर्यादा है,आचरण की शुचिता है,व्यवहार की पारदर्शिता है, कर्तव्यों की भव्यता है तो दायित्व निर्वाहन की दिव्यता है।
यहीं हैं भारत की भव्यता और दिव्यता।
हमें गर्व है अपने देश पर और आपको---------भी निश्चित होगा।।