संजीव जैन's Album: Wall Photos

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सादर प्रणाम मथुरा की इस देवी को।

पीले रंग की साधारण सी धोती पहने, लोगों के जूते चप्पलों की रखवाली करके फुटकर पैसों से अपनी गुज़र बसर करने वाली, बांके बिहारी मंदिर, मथुरा के बाहर बैठी इस महिला का परिचय छोटा सा है।
20 वर्ष की अल्प आयु में विधवा हुई इस महिला का नाम यशोदा है। इनकी भक्ति व प्रेम के आगे हमारी सभी पूजा-अर्चना छोटी रह जाती है।
यशोदा ने पिछले 30 वर्षों में मंदिर के बाहर लोगों के जूते चप्पलों की रखवाली करके, करीब 40 लाख रुपये की रकम एकत्रित की।
इसके लिए उन्होने ना कभी भीख़ मांगी और ना ही ली। ना ही किसी से कुछ मांगा। जूते चप्पलों की रखवाली में जिसके मन में जो आया और जो अपने मन से उनको दे गया, वही उन्होंने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया।
पर सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस धन राशि का उपयोग वह कैसे करना चाहती हैं !
यशोदा ने बचत से एकत्रित पैसों से एक गौशाला व धर्मशाला का निर्माण शुरू करवा दिया है। उनका मानना है कि यह धन समाज की सेवा के लिए है, ना कि उनके व्यक्तिगत उपभोग के लिए।
ऐसे महान आदर्श वाली यशोदा जी को हम प्रणाम करते हैं और आशा करते हैं कि उनके प्रयास सफल हों।