मां तुझे प्रणाम
मां धरती। हमारी निराली पृथ्वी। यह सूर्य के परिवार का तीसरा सदस्य है। सुदूर अंतरिक्ष से देखने पर यह एक नीले, चमकीले गोले की तरह दिखाई देती है। सूर्य से यह करीब 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर दूर है। इसके गोले का व्यास 12,756 किलोमीटर है। अपनी धुरी पर यह पश्चिम से पूर्व की ओर लट्टू की तरह घूमती रहती है। पृथ्वी के पश्चिम से पूर्व की ओर घूमने के कारण हमें सूर्य पूर्व दिशा में निकलता हुआ और पश्चिम दिशा में डूबता हुआ लगता है। एक दिन यानी करीब 24 घंटे में यह एक बार घूम जाती है। सूर्य की एक परिक्रमा यह एक वर्ष यानी लगभग 365 दिन में पूरा करती है।
एक बात और, पृथ्वी अपनी धुरी पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है जिसके कारण ऋतुएं होती हैं, मौसम बदलते हैं। अगर पृथ्वी अपनी धुरी पर सीधी खड़ी रहती तो उस पर सूर्य की किरणें भी सीधी पड़तीं। इस कारण पूरी दुनिया में दिन और रात का समय बराबर होता। न ऋतुएं आतीं, न मौसम बदलते। ध्रुवों में बर्फ जमी रहती और भूमध्य रेखा के आसपास सदा अथाह गर्मी पड़ती।
पृथ्वी पर विशाल पहाड़ हैं, चौरस मैदान, रेगिस्तान और घाटियां भी हैं। इसके सात महाद्वीप और चार महासागर हैं। पूरी पृथ्वी के करीब दो तिहाई भाग में समुद्रों का पानी भरा हुआ है। पृथ्वी का सबसे ऊंचा पहाड़ ऐवरेस्ट है जिसकी ऊंचाई 8,848 मीटर है।
पृथ्वी के चारों ओर करीब 1,600 किलोमीटर की ऊंचाई तक वायुमंडल की परत है जिसमें नाइट्रोजन, आक्सीजन, आर्गन वगैरह गैसें पाई जाती हैं। हम सभी इसी हवा में सांस लेते हैं। दोस्तो, इसीलिए कहते हैं कि हमारा वायुमंडल साफ रहना चाहिए। हमारे कल-कारखानों और लाखों मोटर-कारों से निकला हुआ धुंवा हमारे वायुमंडल को गंदा कर रहा है। उसमें प्रदूषण पैदा कर रहा है।
आइए, अपनी धरती को, मां पृथ्वी को बचाएं।