खुद सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों के आधार पर माना था कि वेदांता तुतुकुडी (तूतीकोरिन) में भयंकर प्रदूषण फैला रही है। फिर 100 करोड़ रु का जुर्माना लगाया तथा आगे और भी प्रदूषण फैलाने का लाइसेंस दे दिया।
जुर्माना तो वसूल हुआ या नहीं, नामालूम, पर वेदांता ने इसके बाद और ज़ोरों से प्रदूषण का जहर फैलाना शुरू किया। इसके बाद इस कारखाने की क्षमता दोगुनी करने का मंसूबा साधा।
इसी मंसूबे के विरोध का 'गुनाह' किया था वहाँ के भोले लोगों ने कि 'न्यायतंत्र' के दूसरे हिस्से पुलिस के निशानेबाज हत्यारों ने चुन चुन कर लोगों को गोलियों से भूनना शुरू कर दिया।
पूंजीवादी न्याय यही है। कश्मीर और उत्तर पूर्व हो, या छत्तीसगढ़ या तमिलनाडु या मध्यप्रदेश, देश में कहीं भी हों, न्याय के लिए पूँजीपतियों की राजसत्ता के खिलाफ आवाज उठाने की सजा निर्ममता से कत्ल ही है। हथियारों की बड़ी-बड़ी खरीद के पीछे असली इरादा खुद इसी देश की शोषित जनता के खिलाफ युद्ध है।