हरी के पास बैठिये, इतने गहरे भाव से कि आँसू आ जाएँ। किसी प्रकार की कोई आकांक्षा या मांग न रखें, हरी का होना ही आशीर्वाद है।। मांगना नहीं पड़ता, उनके पास होने से ही सब मिल जाता है, जैसे फूल के पास जाओ खुशबू अपने आप ही मिलने लगती है। हरी ने सारी व्यवस्था पहले ही की हुई है।। मांगने की जरूरत ही नही है, बस उनके पास जाना है, उनकी शरणागति स्वीकार कर लेना, उनके बताये मार्ग पर चलना, हमारा कर्तव्य बस इतना ही है। बाकी सब कुछ स्वयं ही हो जाता है।।