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जगन्नाथपुरी मंदिर पर 19 बार हुआ था आक्रमण

कभी मुग़ल, कभी अफगानी, कभी तुर्की . . .

इन सब हमलों में सबसे खतरनाक था अफगान के लुटेरे काला पहाड़ का-उसने भगवान के विग्रह को सड़क पर घसीटना शुरू किया और आग लगा दी लेकिन पुजारियों ने अपनी जान पर खेलकर विग्रह को वहां से ले जाकर पास की चिल्का झील में छिपा दिया,आम तौर पर ऐसा हर हमले में होता था,मूर्तियों को कभी पास के गाँव में छिपा दिया जाता,कभी समुद्र में।।

लेकिन औरंगज़ेब के समय पुरी में इस्लामिक शासन था इसलिए कोई हिन्दू राजा रक्षा नहीं कर रहा था ऐसे में औरंगज़ेब ने मंदिर को पूरी तरह विध्वंस करने के आदेश दिए ,तब पुजारियों ने मुख्य विग्रह को पास के ही दूसरे मंदिर में स्थापित कर दिया लेकिन उस मंदिर पर भी हमला कर दिया गया तब पुजारी मूर्तियों को हैदराबाद ले गए ।।

150 वर्ष बाद जब मुग़ल शासन समाप्त हुआ तब मूर्तियों को वापस पुरी लाया गया।।
हम आज अपने अतीत पर गर्व कर पाते हैं उसके पीछे ऐसे कितने ही पुजारियों,नगरवासियों,क्षेत्रीय राजाओं का योगदान है जिन्होंने हर बलिदान देकर सनातन संस्कृति के गौरव को अक्षुण्ण रखा है।।

ध्यान रखिये, हमारा इतिहास ऐसी ही तमाम प्रताड़नाओं का इतिहास है, जिनकी वजह से कभी भगवान जगन्नाथ को विस्थापित होना पड़ा,कभी भगवान सोमनाथ और कभी भगवान रामलला को।।

इतिहास को जानिये,प्रताड़ना के एहसास से उपजे क्रोध से अपनी शिराओं को फड़कने दीजिए ,उसी से हिन्दू-उदय का मार्ग प्रशस्त होगा।।

जय जगन्नाथ
✍.....बॉकवीर सिंह पोकरण जैसलमेर