धरती का सबसे रहस्यमय तीर्थ है कैलाश मानसरोवर जिसका स्कन्द पुराण,विष्णु पुराण आदि में कई बार वर्णन आता है ।
जहाँ हिन्दू कैलाश को भगवान शिव का निवास मानते हैं,कैलाश बौद्ध,जैन और सिक्ख धर्मानुयायिओं के लिए भी पूज्य है, बौद्ध इसे बुद्ध के अवतार देमचोक की समाधि मानते हैं तो जैन अपने पहले तीर्थंकर ऋषभदेव की समाधि मानते हैं ।
कैलाश को ब्रह्माण्ड का केंद्र कहा गया है जो स्वर्गलोक और पृथ्वी के बीच की कड़ी है, रूसी वैज्ञानिकों ने इसे एक्सिस मुंडी कहा है यानि वो जगह जहाँ अलौकिक शक्तियों का वास होता है।
दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत एवेरेस्ट पर 4000 बार चढ़ाई हो चुकी है लेकिन उससे 2000 मीटर छोटा होने के बावजूद कैलाश पर कोई नहीं चढ़ पाया, ये चोटी अपनी लोकेशन बदलती रहती है जिससे लोगों को दिशाभ्रम हो जाता है। बड़े-बड़े पर्वतारोहियों ने महसूस किया कि "जब भी हम चढ़ने का प्रयास करते हैं तो या तो मौसम ख़राब हो जाता है या तबियत ख़राब हो जाती है"। हालाँकि ऐसी मान्यता है कि एक तिब्बती बौद्ध मिलारेपा ने 900 वर्ष पहले कैलाश पर चढ़ाई की थी।
कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह है जिसमें तपस्वी आज भी आध्यात्मिक गुरुओं के साथ टेलीपैथिक संपर्क करते हैं
यदि आप कैलाश पर्वत या मानसरोवर झील के क्षेत्र में जाएंगे, तो आपको निरंतर एक आवाज सुनाई देगी, जैसे कि कहीं आसपास में एरोप्लेन उड़ रहा हो। लेकिन ध्यान से सुनने पर यह आवाज 'डमरू' या 'ॐ' की ध्वनि जैसी होती है।
यहाँ समय तेजी से बढ़ता है,इसे स्पष्टता से अनुभूत किया जा सकता है जैसे सामान्य तौर पर जितने नाखून बल 1 महीने में बढ़ते हैं वो 1 दिन में बढ़ जाते हैं। संभव है कि थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी के कारण ऐसा होता हो ।
कई बार कैलाश पर्वत पर रात के 3 बजे के आसपास लाइटें आसमान में चमकती हुई देखी जाती हैं,जिन्हें कई बार UFO मानकर चीन ने अपने फाइटर जेट से उनका पीछा करने की भी कोशिश की लेकिन असफलता ही हाथ लगी है. शास्त्रों में वर्णन है कि ब्रह्ममुहूर्त में देवगण भगवन शिव के धाम में आते हैं हिन्दुओं का विश्वास हैं कि ये रौशनी उन्हीं देवताओं की होती हैं ।