मित्रों ! आज 2 जून है। 1947 में आज के दिन लॉर्ड माउंटबेटन ने सांप्रदायिक आधार पर भारत के विभाजन को अपनी स्वीकृति प्रदान की थी । भारत में मुस्लिम लीग को पहले दिन से ब्रिटिश सत्ताधीश जिस प्रकार बढ़ावा देते जा रहे थे उसका अंतिम परिणाम यही होना था कि भारत का विभाजन कर दिया जाए । अब से पहले अंग्रेज कई देशों का विभाजन कर चुके थे । यहां तक कि अमेरिका से विदा होते समय भी अंग्रेजों ने 1776 में उससे अलग कनाडा देश का निर्माण कर दिया था। उस इतिहास को उन्होंने भारत में भी दोहराया । भारत में मुस्लिम सांप्रदायिकता को प्रोत्साहित कर उन्होंने सांप्रदायिक आधार पर देश का बंटवारा किया । जिस की औपचारिक घोषणा लॉर्ड माउंटबेटन ने आज के दिन की । सांप्रदायिक आधार पर देश का बंटवारा करने की अंग्रेजों की इस नीति का हिंदू महासभा जैसे राष्ट्रवादी संगठनों ने पहले दिन से विरोध किया था ।आर्य समाज भी देश के बंटवारे का पहले दिन से विरोध करता आ रहा था, परंतु कांग्रेस, मुस्लिम लीग और अंग्रेजो ने मिलकर चुपचाप देश का बंटवारा कर 3 जून 1947 को उस पर इन सभी दलों या पक्षों ने अपनी मोहर लगा दी । इसके विरोध में सावरकर की हिंदू महासभा ने 3 जुलाई 1947 को काला दिन मनाया था।
कांग्रेस के नेता जवाहरलाल नेहरू को जल्दी से जल्दी देश का प्रधानमंत्री बनने की चाह थी और उनकी पार्टी के अन्य नेता महत्वपूर्ण पद मंत्री , मुख्यमंत्री और विदेशों में राजदूत नियुक्त होने की तमन्ना को लेकर गांधी जी और नेहरू जी के पास जाकर अपना जुगाड़ लगाने लगे थे । उधर देश सांप्रदायिक दंगों में झुलसने लगा था । देश की चिंता न होकर सभी कांग्रेसियों को उस समय अपने अपने लिए 'बड़ा पुरस्कार ' ले लेने की अधिक इच्छा हो गई थी। देश कौन सी तारीख को आजाद होगा और देश की जनसंख्या का शांतिपूर्ण विस्थापन किस प्रकार होगा ? इसकी योजना बनाने के लिए किसी के पास समय नहीं था । सौजन्य से विपिन खुराना सावरकर जी