“जब कोई मनुष्य अपने पूर्वजों के बारे में लज्जित होने लगे तब समझ लेना उसका अन्त हो गया। मैं यद्यपि हिन्दू जाति का नगण्यघटक हूं किन्तू मुझे अपनी जाति पर गर्व है, अपने पूर्वजों पर गर्व है। मैं स्वयं को हिन्दू कहने में गर्व अनुभव करता हूं।”
- स्वामी विवेकानन्द