टकला बाबा's Album: Wall Photos

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जहाँ बेटों ने उसके नाम की बिल्डिंग बनायी,
वहाँ पे कोई बुढिया घर का नक्शा ढूँढती है,

मेरा ख़ाली मकाँ अब भर गया है इस तरह भी,
ये ढ़लती उम्र अब घर में भी कमरा ढूँढती है,

नहीं बाक़ी बची है अब तलब कुछ देखने की,
ये अंधी आँख फिर क्यूँ अब भी चश्मा ढूँढती है,

मुझे अब दूर ख़ुद से भी ज़रा होना पड़ेगा ,
सुना है ज़िन्दगी मुझको दुबारा ढूँढती है,

सुरेन्द्र चतुर्वेदी