संदीप सक्सेना's Album: Wall Photos

Photo 11 of 49 in Wall Photos

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि आज पूर्ण सूर्यग्रहण लगने जा रहा है..!

यह सूर्यग्रहण आज रविवार दिनांक 21 जून 2020 अमावस्या को भारत में दिखाई देगा...!

सूर्य अथवा चंद्रग्रहण पूरी तरह से एक खगोलीय घटना है...

और, सूर्यग्रहण ... सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा के आ जाने से होता है... और, उस परिस्थिति में सूर्य की किरण को चंद्रमा रोक लेती है और पृथ्वी पर सूर्य की किरण नहीं बल्कि चंद्रमा की छाया पड़ती है.

हमारे ज्योतिष विज्ञान के अनुसार...

ग्रहण का सूतक प्रारंभ शनिवार 20 जून रात्रि 9:00 बज कर 15 मिनट से प्रारंभ हो चुका है.

ग्रहण प्रारंभ रविवार 21 जून 2020 सुबह 10:24 से होगा एवं समाप्त रविवार 21 जून 2020 दोपहर 1:50 पर होगा.

इस तरह ग्रहण की पूर्ण अवधि 3 घंटा 25 मिनट होगी.

ज्योतिष के अनुसार विभिन्न राशियों पर ग्रहण का प्रभाव विभिन्न होगा जो मैं नहीं लिखना चाहता.

क्योंकि, मैंने ज्योतिष शास्त्र नहीं पढ़ा है इसीलिए अंदाजे से विभिन्न राशियों वाले इंसान पर इसका सटीक प्रभाव लिखना उचित नहीं है.

लेकिन, हमारे ज्योतिष शास्त्र के अनुसार..

ग्रहण काल की अवधि में इष्ट मंत्र जप, गुरु मंत्र जप, सूर्य मंत्र जप, आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ,

गायत्री महामंत्र जप, महामृत्युंजय जप, तथा धार्मिक पाठ कर सकते हैं.

साथ ही .... ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को ग्रहण समय में सब्जी काटना, शयन करना, पापड़ सेकना अनावश्यक वार्तालाप

करना वर्जित किया गया है.

जबकि... बच्चे बुजुर्ग तथा औषधि सेवन करने वालों के लिए

कोई दोष नहीं होगा और ग्रहण काल में स्नान दान का

शास्त्रों में बड़ा महत्व बताया है.

 जहाँ तक मैं अपने धर्मग्रंथों और उसमें लिखी बातों को समझ पाता हूँ तो उससे एक बात तो बिल्कुल स्पष्ट है कि... हमारे पूर्वज ऋषि मुनि खगोलीय घटना और उसके प्रभावों को काफी बेहतर तरीके से समझते थे और....तथा, उसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए उन्होंने कुछ नियम बना कर उसे परंपरा का रूप दे दिया था.

और... आधुनिक विज्ञान से भी हम ये जानते हैं कि.... सूर्य ग्रहण के समय कई तरह की घातक किरणें और रेडिएशन पृथ्वी पर पड़ने लगती है...

इसीलिए, परंपराओं के माध्यम से उन्होंने उससे बचने के उपाय बताए थे.

उदाहरण के लिए.... ग्रहण के दौरान अथवा बाद में नहाना इस कारण हो सकता है कि.... हमारे स्किन के पानी के संपर्क में रहने से उन घातक किरणों और रेडिएशन का प्रभाव खत्म या क्षीण हो जाता होगा.

उसी तरह.... ग्रहण के दौरान खाना पकाने अथवा खाने अथवा बने हुए खाने में तुलसी एवं दूब रख कर ढक देने की परंपरा इसीलिए होगी क्योंकि .... दूब घास में वो शक्ति होगी कि वो.... ग्रहण के दौरान सूर्य की घातक किरणों और रेडिएशन को अवशोषित कर लें....

और, तुलसी एक एंटीबायोटिक और एंटीवायरल की तरह... खाने को संक्रमित होने से बचा सके.

यूँ भी विज्ञान हमें आज बताता है कि.... पीपल, बरगद एवं तुलसी बहुत काम के पेड़ हैं क्योंकि कोई हमें बहुतायत में ऑक्सीजन देता है तो किसी में प्रचूर मात्रा में औषधीय गुण हैं.

लेकिन... हमारे धर्मग्रंथ ये बात हमें हजारों-लाखों साल पहले ही बता चुके हैं कि.... पीपल, बरगद और तुलसी जैसे पेड़-पौधों में भगवान का वास होता है ...

अर्थात, वो पूजनीय होते हैं .... और, उन्हें काटने की जगह घर में जगह देनी चाहिए.

इसीलिए... मेरे ख्याल से.... हमारे धर्म ग्रंथों में लिखी बातों को बिना ठीक से समझे अंधविश्वास घोषित कर देना ... हमारी अज्ञानता एवं मूर्खता के सिवा कुछ नहीं होगा.

हो सकता है कि... हमारे धर्मग्रंथों में जो बातें लिखी हुई है उसका विज्ञान हम नहीं जान पाए हैं.... जिस तरह, 200-400 साल पहले विज्ञान ये भी नहीं जानता था कि तुलसी, पीपल और बरगद आदि हमारे किए क्यों इतना महत्वपूर्ण है.

शायद गर्भवती स्त्रियों को भी इसीलिए प्रतिबंधित किया गया होगा ताकि ग्रहण के दौरान की उन घातक किरणों और रेडिएशन का प्रभाव पेट में पल रहे अजन्मे बच्चे पर न पड़े.

इसीलिए.... ग्रहण-व्रहण है तो एक खगोलीय घटना ही...

लेकिन, इसके दुष्प्रभावों को हम उतने विस्तार से नहीं जानते हैं...

इसीलिए, इस स्थिति में अपने धर्मग्रंथों में लिखे दिशा-निर्देशों का पालन करें..-एवं खुश रहें..

और, हाँ.... आज मेरे सभी मित्रों को "योग दिवस" की हार्दिक शुभकामनाएं...!