पिघले नीलम सा बहता हुआ ये समां
नीली नीली सी खामोशियाँ न कहीं है ज़मीन, न कहीं आसमान
सरसराती हुई टहनियाँ, पत्तियां कह रहीं हैं की बस एक तुम हो यहाँ.. सिर्फ मैं हूँ..मेरी साँसें हैं..मेरी धड़कने
ऐसी गहराइयाँ, ऐसी तन्हाइयां, और मैं... सिर्फ मैं.. अपने होने पे मुझको यकीन आ गया