Pulwama_Attack
बदला नहीं लेंगे...नेस्तनाबूद करेंगे...
यह शोक करने का दुख मनाने का वक्त नहीं है...
रोने धोने का, श्रद्धाजंलि देने का, संवेदनाएँ जाहिर करने का काम कायर कौम की रूदालियाँ करती हैं, उनसे कहो अपने हरम को लौट जाएँ..यह वक्त है महान माता के महान पुत्रों के स्वर्गारोहण का शौर्योत्सव मनाने का...और ये सौगंध लेने का कि जब तक इन मलेच्छ शैतानों के रक्त से मस्तकाभिषेक ना कर लें तब तक इनके बलिदान और वीरता की दुदुंभियाँ बजति रहें...पांचजन्य और पौंड्रिक शंखों का उदघोष हमें सोने ना दें...
यह एक युद्ध है...धर्मयुद्ध... हमारी सेना ने पिछले चार वर्षों में 1735 आतंकी, जहन्नुम में पहुँचाए हैं... ज़ाहिर है कि ऐसे लंबे चलने वाले युद्ध में आज के हमले में इन दोजख के कुत्तों को सफलता मिली है.. इसे युद्ध की तरह ही देखा जाना चाहिए..
अत्यधिक क्रोध का प्रदर्शन इस आग को ठंडी कर देगा, इसे दबाए रखें और सुलगने दें, ज्यादा दुख-शोक व्यक्त करना, संवेदनाएँ व्यक्त करना उन मलेच्छ शैतानों को मनौवेज्ञानिक विजय दिलवाएगा, अतः रक्तपिपासु की तरह शौर्य का भाव रखते हुए वीरों का मान रखें, उनके बलिदान को शौर्य दिवस के रूप में जाहिर करें ... पुलवामा का बदला भी सेना अपने समय पर अवश्य लेगी ही... अतः सरकार और सेना का मनोबल और बढाएँ...