1994 के आस पास की बात है अरविंद त्रिवेदी जी (रावण का अभिनय करने वाले) अयोध्या हनुमान गढ़ी पर संकट मोचन के दर्शन करने आए थे. उस समय रेवती बाबा प्रमुख पुजारी थे. वे अकड़ गये, अडिग हो गये की मै इनको किसी भी कीमत पर दर्शन नही करने दुँगा क्योंकि ये हनुमान जी को बार बार मरकट और श्री राम को वन वन भटकता वनवासी कह कर संबोधित करता रहा है.
प्रशासन घुटनों पर बैठ गया था पर पुजारी जी झुके नहीं, त्रिवेदी जी को निराश वापस जाना पड़ा. उधर रावण का अभिनय करने पर त्रिवेदी जी एकदम शून्य शिथिल रहने लगे.
फिर इसके बाद त्रिवेदी जी ने अपने घर के कमरों और दीवारों पर दोहे और चौपाइयों लिखवाए, घर के बाहर एक बड़ा सा बोर्ड लगवाया और उस पर लिखवाया "श्री राम दरबार". तिस पर भी मन मे यह संताप रहने लगा कि मैंने बार बार प्रभु श्री राम को भले ही सीरियल में सही परन्तु अपमानजनक शब्द कहे हैं तो उन्होने हर साल रामायण का पाठ करवाना शुरू कर दिया इसके प्रायश्चित के लिए.
ये हुआ था रावण का अभिनय करने पर त्रिवेदी जी के जीवन पर प्रभाव..
वास्तविक जीवन मे ञिवेदी जी राम के बहुत बडे़ भक्त है ।।।।
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