आत्मनिर्भर भारत की कल्पना का जो मजाक बनाया गया, साथ ही सोनम वांगचुक के विडियो पर भी लोगों के मज़ाकिया पोस्ट आए की मोबाइल चाइना का है और बात करते हो आत्मनिर्भरता की... तो ये सभी मज़ाक एक थप्पड़ हैं ना 135 करोड़ भारतीयों के मुँह पर जो अपने देश को गिरवी रखे बैठे हैं ड्रेगन को। कल ही अर्थव्यवस्था पर एक एनालिसिस पड़ा, आंकड़े बताते हैं की जो सबसे बड़ी मार पड़ी है वो सर्विस सेक्टर पर पड़ी और जल्द इसके संभलने के कोई आसार नहीं हैं, साथ ही यह भी की मेन्युफेक्चरिंग सेक्टर जल्दी रफ्तार पकड़ लेगा। पर अब सच्चाई यह है की भारतीय अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा सर्विस सेक्टर पर निर्भर कर रहा है और अगर यह सेक्टर जल्दी नहीं संभलेगा तो मंदी का बड़ा खतरनाक दौर सामने है। तब ऐसे वक्त की यह डिमांड है की चाहे जितना कठिन और लंबा रास्ता हो आपको अपने आपको आत्मनिर्भर बनाना ही होगा मतलब आपको कारखाने लगाने होंगें, मेन्युफेक्चरिंग को बढ़ावा देना ही होगा।
फेसबुक पर सरकारों के मजाक बनाने अपना अपना राग पीटने से कहीं ज्यादा बेहतर होगा स्थिति को समझना और उस दिशा में देश को मोड़ने के प्रयत्न करना, सरकारें आती जाती हैं भुगतना हमें पड़ता है, कांग्रेस जो कर गई, बीजेपी जो कर रही है उस से भी कहीं ज्यादा बड़ी ताकत हैं हम। हम सबको प्रण लेना चाहिए की कोशिश करें ज्यादा से ज्यादा भारतीय उत्पादों की मांग करें, मांग बढ़ने पर ही सप्लाई बढाने के प्रयास होंगे, हाँ पर तब तक क्या काम बंद करना है? नहीं बहुत जरूरी चीजें तो खरीदनी ही होंगी पर गैरजरूरी के लिए तो मन में दृढनिश्चय कर सकते हैं।