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नमो की साज़िश : पर्यटन का खात्मा
भारत की सबसे पुरानी पर्यटन की जगहों को ख़तम करने का काम सरकार कर रही है, हम कैसे भूल सकते है की विदेशी पर्यटक भारत में क्यों आते थे?
क्यों आते थे अरे भाई ताजमहल राजस्थान खजुराहो के आलावा उनको भूखे नंगे लोगो को देखने का सुख मिलता था , वो चित्र अभी भी बाजार में बिकते है पुरुस्कार मिलता है.
ये क्या बात हुई , सरदार पटेल की मूर्ति बनाकर पैसा भी बर्वाद किया और वहां रहने वाले भूखे नंगो को भी ख़तम कर दिया
अब अयोध्या में दिवाली , वहां से भी इनको ख़तम करने की साज़िस
कल लोह पुरुष की मूर्ति के साथ एक महिला एंड 2 बच्चो का चित्र विरल हुआ शीर्षक
" पैसे खर्च कहाँ होने चाहिए थे , चित्रकार को हज़ार सलाम "
अरे भाई लोग ऐसे चित्र प्रत्येक उड़ान पुल , ईमारत, सड़क और अन्य निर्माण के स्थान पे मिलेंगे. तब आपकी नसों का लहू नहीं उबलता है ?
ये मज़दूर इनके निर्माण में सहायता करते है और अपना परिवार चलाते है.
हां सेटिंग करके मनरेगा का पैसा नहीं खाते.
भाई यूनिवर्सल डिज़्नी लैंड हम देख सकते है , पैसे है , अब भारत के भूखे नंगे भी ऐसी मूर्ति देखेंगे
मजा नहीं आया ? अरे ये तो हमारे उत्पाद है पर्यटन के , इनको ख़तम मत करो , नहीं भारत कोण आएगा!