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प्रतिभा का पलायन ??

  • प्रतिभा का पलायन 

    बचपन से प्रतिभा पलायन के अवगुण को सुनता हुआ बड़ा हुआ! जब जब डॉक्टर और इंजीनियर के  परिणाम आते , प्रतिभा पलायन की चर्चा जरूर होती थी!

    कैसे प्रतिभा हमारे देश से पलायन कर रही है, कैसे हम अपने युवाओ को इतना पैसा खर्च कर , शिक्षित कर  डॉक्टर , अभियंता बनाते और वो कैसे विदेश जा के बस जाते थे और  हम रह जाते थे खाली हाथ.

    इतना तो मेरा बालमन समझ गया की प्रतिभा पलायन का मतलब अपने देश में विकसित प्रतिभा का विदेश में चले जाना और वहां हुनर दिखाना और पैसा कमाना , जीवन यापन करना.

    थोड़ा बड़ा हुआ, स्नातक और पोस्ट स्नातक हुआ और भी बहुत सी क्वॉलिफिकेशन्स लेके में भी मुंबई आ गया और अच्छी आय के साथ जीवन व्यतीत करने लगा.

    मेरे केस में प्रतिभा का पलायन नहीं हुआ क्योंकि में विदेश नहीं गया, हालाँकि में भी एक छोटे से कसबे का रहने वाला हूँ, लेकिन मुझे कभी भी ग्लानि नहीं हुई क्योंकि में देश में ही रहा और यही खर्च करता रहा.

    एक दिन में फिर अपने गावं गया हमेशा की तरह और हमेशा की तरह असुविधाओं के लिए सरकार को कोसा. लेकिन अचानक मेरे मन में ख्याल आया की मेरी  आय बड़ी , मेरा  जीवन स्तर सुधरा लेकिन मेरे स्कूल मेरे गावं का क्या हुआ?

    क्या मेरा स्कूल मेरे गावं जिसने मुझे आम इंसान से प्रतिभा में परिवर्तित किया उसका स्तर बदला? नहीं बदला, वो सब वैसे के वैसे ही रहे? 

    तो क्या  ये प्रतिभा का पलायन नहीं था?

    तो क्या प्रतिभा का पलायन सिर्फ देश से विदेश में ही होता है? गावं से शहर में नहीं? 

    ठीक है मुझे वहाँ मौके नहीं थे, तो क्या  ये मेरी जिम्मेदारी नहीं थी की में अपने गावं और स्कूल का भी थोड़ा ख्याल रखता, वहाँ के बच्चो को रास्ता दिखाता?

    फिर मेने और सोचा तो मेरे होश उड़ गए, भारत में लाखो अधिकारी (प्रशाशनिक , अभियंता डॉक्टर , प्रबंधन इत्यादि) सरकारी और गैर सरकारी इन्ही छोटे गावं और स्कूल के उत्पाद थे!

    तो क्या आजादी के इतने साल बाद हमारे स्कूल अच्छे नहीं इसके लिए क्या सिर्फ सरकारे ही जिम्मेदार है ? हाँ हैं!

    लेकिन हम जिम्मेदार नहीं है क्या ?

    क्या  हम अहसान फरामोश नहीं है उस मातृ भूमि के जिसने हमको इतने बड़े पद के योग्य बनाया?

    जहाँ हम कमाते है, वहाँ खर्च करना जरुरी है लेकिन क्या हम एक छोटा  सा हिस्सा नयी प्रतिभा की खोज में खर्च नहीं कर सकते?

    हम समाज के उच्च वर्ग ( तथकथित ) और अधिकारिओ से अच्छे तो वो सीमित आय वाले टैक्सी चालक , सव्जी विक्रेता और मजदूर है जो अपनी आय का बड़ा हिस्सा अपने गावं भेजता है ( स्कूल तो उन लोगो ने कहाँ देखे)

    मेरे लिए तो ये  उस प्रतिभा पलायन से बड़ा पलायन है जो विदेशो के लिए होता है!

    हाँ में मान सकता हूँ , समय की कमी , सहायता का दुरुपयोग इत्यादि कारण हो सकते है, लेकिन हम चुपचाप हाथ पे हाथ धरे तो नहीं बेथ नहीं सकते.

    जरा सोच के देखिये और देखिये की जिंदगी सोशल मीडिया के बाहर भी है और अपनी प्रतिभा का इंतज़ार कर रही है!

    आप जा रहे है ना ?

    जय हिन्द