मैं कोरोना कीटाणु बोल रहा हूँ
अपने प्यारे भिड़ु लोगो को कोरोना का प्यार भरा नमस्कार
अरे डरने का नहीं मैं आप को डराने नहीं आया, मैं तो खुद ही डरा डरा सा घूम रहा हूँ. कुछ बदमाश लोगो ने मुझको बदनाम जो कर दिया है. सच तो ये है कि मैं अपने खानदान का सबसे कमजोर कीटाणु हूँ. कीटाणु नहीं समझे ? कीटाणु बोले तो अपना वायरस. अरे थ्री इडियट वाला वायरस नहीं, बल्कि कोरोना वायरस.
अरे यार थोड़ा तो सीरियस लेना मांगता है मुझको आखिरकार अपुन ताकतवर खानदान से ताल्लुक रखता हूँ.
आज मैं आप से मुखातिव हूँ. मुखातिव बोले तो बात कर रहा हूँ ताकि आपको लोग मेरे नाम पर डरा नहीं सके.
ये पंटर लोग डरा डरा के बहुत धन (और कुछ नहीं सोचने का रे बाबा, धन बोले तो मनी ना कि * )
तो सबसे पहले में अपुनिच के परिवार के बारे में बताता हूँ. अपुन उस कीटाणु परिवार का सदस्य हूँ जो बोले तो जानवरों में पाया जाता हे जेसे की SARS or MERS जो किसी को भी निपटा सकते थे, लेकिन अपुन अपने बड़े भाइयों की तरह स्ट्रांग नहीं हे. स्ट्रांग बोले तो में स्वस्थ आदमियो का कुछ भी नहीं कर सकता हूँ. कुछ बीमार बुजुर्ग मेरा शिकार बन जाते हे लेकिन इतना तो करना मांगता हे. हे कि नहीं अखिरकार कीटाणु हूँ में. नायक नहीं खलनायक हूँ में. लेकिन अपुन इतना बड़ा खलनायक नहीं हूँ जितना बड़ा ये पंटर लोग बता रहे हे. बोले तो मेरे नाम पर डरा रहे हे. मुझसे बचना बड़ा आसान हे , जुकाम खांसी बाले भिड़ु लोगो से दूर रहने का , खांसने और छींकने का दिल करे तो मुंह और नाक पर रूमाल रखने का. अरे रूमाल रखेगा तो सब लोग खुश हो जायेगा ना. किस विस् नहीं करने का और हाथ मिलाने को दो हाथ दूर रखने का और दूर से ही नमस्ते करने का. काय बोलै, नमस्ते कूल नाय का, आता माजी सटकली , मी कीटाणु हूँ सीरियसली लेने का.
सर्दी खांसी भुखार और साँस लेने में तकलीफ़ आने का तो मुन्ना भाई के पास जाने का, मुन्ना भाई बोले तो अपनी भाषा में डॉक्टर के पास्। शर्माने का नाहि, अरे कोरोना हूँ कोई गुप्त रोग नहीं.
क्या छुपायेगा? साला तू छुपायेगा जैसे केरल वाले लोगो ने इटली यात्रा को छुपाया और हुआ क्या घर की बुजुर्गों के पास मुझको पहुंचा दिया। ग़लती करो साला तुम और गाली खायेगा हम । खायेगा सालो से खाता आया हूँ तो अभी भी खाऊँगा। झप्पी, ये स्याणे मूवी चल रही हे क्या साला कोरोना हूँ मे, SARS, MERS का भाई करोना।
और क्या करने का, बराबर हाथ धोने का , चेहरे को हाथ से नहीं छूने का और हाँ दुकानदार भाइयो नोट गिनती के टाइम थोबड़े से थूक लगाने का नहीं, पोस्टिक खाना खाने का, पानी पीने का , प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का, सार्वजानिक स्थान पर थूकने का नहीं , कुछ भी छूने का नाहि, जुकाम और सर्दी हो तो बाहर जाने का नाहि, नाक पर रुमाल रखने का और अगर में तुममे आ भी जाओ तो डरने का नहीं बहुत कमजोर हूँ रे , तुरंत नजदीकी मुन्ना भाई के दवाखाने जाने का इलाज़ करवाने का और हाँ शायद गर्मी से मुझे डर लगता हे तो गरमी बोले तो में खल्लास (अभी कन्फर्म होने का है  और हाँ मौत से बड़ा मौत का डर वैसे ही कोरोना से बढ़कर कोरोना का डर. जवर्दस्ती का मास्क लगाने का नाहि, जरूरतमंद को पहले देने का और फालतू में इकठ्ठा करने का नाहि। मस्ती से रहिये स्वस्थ रहिये । मेरी शुभकामनाये तुम लोगो के साथ ।
तुम्हारा प्यारा कीटाणु कोरोना