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जीवन का श्रेष्ठ रक्षाबंधन

  • रक्षाबंधन....वर्ष 2002
    इंदु... मीता और मैं
    अब बीमारी ना तो कोई दिन देखती है, ना समय न त्यौहार।
    मुंह उठाए कभी भी चली आती है, मीता की तबियत बिगड़ी हुई थी और उसे packed cells का transfusion बेहद जरूरी हो गया था।
    राखी का दिन, इंदु राखी बांधने आई उसकी खामोश सिसकियां मेरे मन ने सुनी,रखी बंधवा कर मैंने उससे कहा* जा इंदु अपनी कार ले आ, Redcross से तो आज ब्लड मिलेगा नहीं, चल हिंदूराव हस्पताल चलते हैं, इंदु 10 मिनट बाद लौटी तो उसके साथ कोई और भी लेडी थी, us lady ने आते ही हाथ जोड़ विनती कर डाली *भैया कैसे भी करो आज रुचि को पैक सैल्स नहीं लगे तो....उसके बाद उसका रोना चालू।
    10 मिनिट लगे hindurao हॉस्पिटल पहुंचने और मैं dr.Shikha से मिला जो ब्लड बैंक की इंचार्ज थी, अपनी समस्या बताई और बोला एक यूनिट तो मैं अभी donate कर रहा हूं एक के लिए दो दिन में किसी को भेज दूंगा।
    अरे नहीं आप डोनेट क्यों कर रहे हो, हम इश्यू कर देंगे दो यूनिट, आज त्यौहार का दिन है...मुझे भी राखी बांधने है आपको आप बैठो.. के कर dr. shikha राखी ले आईं
    मैं ज़रूर डोनेट करूंगा आज मेरा त्योहार मन जाएगा...
    मैंने मुस्कराते हुए कहा...
    *सच में भाई तुम पागल हो* dr. shikha ne मेरे मुंह में मिठाई का एक टुकड़ा डाल दिया
    इंदु और नम्रता ने राहत की सांसली और हम कुछ देर बाद हॉस्पिटल से दोनो बच्चों के लिए पैक्ड सेल्स ले कर लौट रहे थे।
    मेरे जीवन की सर्वश्रेष्ठ राखी\ud83d\ude0d\ud83d\ude0d
    कुलभूषण दीप