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रिश्ते

  • कुछ यूँ हो रहा है आजकल रिश्तो का विस्तार 

    जितना जिस से मतलब उतना उसे प्यार 


    आज के परिवेश मे अगर देखे तो काफी हद तक ये बात सही है । आज के आधुनिक युग मे हर तरफ जहा प्यार ख़त्म होता जा रहा है वही स्वार्थ का जन्म हो रहा है ।किसी भी व्यक्ति को किसी दूसरे व्यक्ति की न फ़िक्र है न उसके दुःख दर्द से मतलब। पहले मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हुआ करता था ।आज कल सोशियल मीडिया का हो कर रहगया है ।पहले लोगो के घर की दिवार मिटी थी ।आज कल लोगो के स्टेट्स मिलते है ।पहले लोगो ब्रांडेड नहीं पहनते थे रिश्तो को बंधा लेते थे ।आज कल ब्रांडेड पहनते है और रिश्ते भी सिर्फ ब्रांडेड वालो से निभाते है । आने वाली पीढ़ी को अगर सही संस्कार देना है तो अन्धानुकरंड बंद कीजिये मिटटी से बच्चो को जोड़े ।एक मजबूत पेड़ मिटटी मे उगता है गमले मे नहीं । बच्चो को प्यार से सींचे और पेड़ बनाये ।फिर वो बच्चे जो रिश्ते बनाएँगे वो मजबूत बांयेगे । प्यार जब दोगे तब प्यार मिलेगा जितना दोगे उतना मिलेगा। देने का नाम प्यार है बिना पाने की आशा से समर्पित हो जाइये ।प्यार मिल ही जायेगा ।


    बिन मांगे मोती मिले मांगे मिल न भीख 

    दास कबीरा कह गए प्रेम की ऐसी रीत 


    अनुपमा जैन