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chedilal dharti

  • छेदीलाल धरती


    मध्यप्रदेश के एक गांव मे सोनू नाम का एक बच्चा रहता था। वह पांचवी कक्षा मे पढ़ता था। वह थोड़ा नटखट तो था ही पर थोङा समझदार भी था। 

                 एक दिन वह स्कूल से घर लौट रहा था। तभी उसने एक खाली मैदान मे बङी सी गाङी खङी देखी जो बहुत ज़ोर - ज़ोर से आवाज़ कर रही थी। उस गाङी के आस - पास बहुत सारा पानी भी पङा हुआ था। उसने घर आकर पिताजी से उस गाड़ी के बारे मे पूछा तो पिताजी ने बताया- ' वो बोरिंग करने की गाङी है। आज उनके नज़दीक के एक मैदान मे बोरिंग करने के लिए आई है।' सोनू बोरिंग के बारे मे नहीं जानता था इसलिए उसने दोबारा पिताजी से सवाल किया - ' पिताजी! यह बोरिंग क्या होता है?' इस पर पिताजी ने कहा- ' बोरिंग एक प्रोसेस होती है जिससे हम ज़मीन मे छेद कर पानी निकालते हैं।' कुछ देर सोचने के बाद सोनू फिर बोल उठा- 'पिताजी, पर मैंनें तो यह गाड़ी कई बार हमारे गांव मे देखी तो क्या हर बार यह धरती मे छेद करती है?' इस पर पापा ने जवाब मे हाँ कहा और पेपर पढ़ने लग गए। इधर सोनू का दिमाग तो किसी और ही उधेड़- बून मे लग गया था। कुछ देर सोचने के बाद वो फिर बोल उठा- ' ऐसे तो फिर पिताजी हमारी धरती छेदीलाल धरती हो जाएगी। अभी कुछ दिनों मे ही इतने सारे छेद हो गए तो पहले ना जाने कितने छेद हुए होंगे और आगे ना जाने और कितने होंगे?' इस बात पर पिताजी कुछ बोले तो नहीं पर वे भी गहरी सोच मे पङ गए थे। उन्हें भी अब सोनू की बात मे गहराई नज़र आने लगी थी।


    - दिक्षा जैन