1433 साल पहले मैदान-ए-अराफ़ात (मक्का) में 9 ज़िल्हिज्ज् , 10 हिजरी को मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हज का आखरी ख़ुत्बा दिया था। बहुत अहम पैगाम दिया था। ग़ौर से पढ़ें, हर बात बार बार पढ़ें सोचें कि कितना अहम पैगाम है जिसे हमने भुला दिया है ।
1️⃣ ऐ लोगो ! सुनो, मुझे नही लगता कि अगले साल मैं तुम्हारे दरमियान मौजूद होऊंगा, मेरी बातों को बहुत गौ़र से सुनो, और इनको उन लोगों तक पहुंचाओ जो यहां नहीं पहुंच सके।
2️⃣ ऐ लोगों ! जिस तरह ये आज का दिन ये महीना और ये जगह इज़्ज़त ओ हुरमत वाले हैं, बिल्कुल उसी तरह दूसरो की ज़िंदगी, इज़्ज़त और माल हुरमत वाले हैं। (तुम उसको छेड़ नही सकते )
3️⃣ लोगों के माल और अमानतें उनको वापस करो।
4️⃣ किसी को तंग न करो, किसी का नुकसान न करो, ताकि तुम भी महफूज़ रहो।
5️⃣ याद रखो, तुम्हे अल्लाह से मिलना है, और अल्लाह तुम से तुम्हारे आमाल के बारे में सवाल करेगा।
6️⃣ अल्लाह ने सूद (ब्याज) को खत्म कर दिया, इसलिए आज से सारा सूद खत्म कर दो। (माफ कर दो )
7️⃣ तुम औरतों पर हक़ रखते हो, और वो तुम पर हक़ रखती है, जब वो अपने हुक़ूक़ पूरे कर रही हैं तो तुम भी उनकी सारी ज़िम्मेदारियाँ पूरी करो।
8️⃣ औरतों के बारे में नरमी का रवय्या अख्तियार करो, क्योंकि वो तुम्हारी शराकत दार ( पार्टनर )और बेलौस खिदमत गुज़ार रहती हैं।
9️⃣ कभी ज़िना ( बलात्कार )के करीब भी मत जाना।
1️⃣0️⃣ ऐ लोगों !! मेरी बात ग़ौर से सुनो, सिर्फ अल्लाह की इबादत करो, 5 फ़र्ज़ नमाज़ें पूरी रखो, रमज़ान के रोज़े रखो, और ज़कात अदा करते रहो, अगर इस्तेताअत हो तो हज करो।
1️⃣1️⃣ तुम सब अल्लाह की नज़र में बराबर हो। बरतरी सिर्फ तक़वे की वजह से है।
1️⃣2️⃣ याद रखो ! तुम सब को एक दिन अल्लाह के सामने अपने आमाल की जवाबदेही के लिए हाज़िर होना है, खबरदार रहो ! मेरे बाद गुमराह न हो जाना।
1️⃣3️⃣याद रखना ! मेरे बाद कोई नबी नही आने वाला, न कोई नया दीन लाया जाएगा, मेरी बातें अच्छी तरह समझ लो।
1️⃣4️⃣मैं तुम्हारे लिए दो चीजें छोड़ के जा रहा हूँ, क़ुरआन और मेरी अहले बैत, अगर तुमने उनकी पैरवी की तो कभी गुमराह नही होंगे।
1️⃣5️⃣ सुनो ! तुम लोग जो मौजूद हो, इस बात को अगले लोगों तक पहुंचाना, और वो फिर अगले लोगों तक पहुंचाए। और ये मुमकिन है कि बाद वाले मेरी बात को पहले वालों से ज़्यादा बेहतर समझ (और अमल) कर सकें।
फिर आपने आसमान की तरफ चेहरा उठाया और कहा-
1️⃣6️⃣ ऐ अल्लाह ! गवाह रहना, मैंने तेरा पैग़ाम तेरे बंदों तक पहुंचा दिया
हम पर भी फ़र्ज़ है इस पैगाम को सुने, समझें, अमल करें और इसको आगे दुसरों तक भी भेजें ताकि अहम बातें सीखें।
Reference ;
( सही अल-बुखारी, हदीस न. 1623 )