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Thought

  • किसी रोज़ तुम को भी मेरी बोहोत याद आई जी,

    मेजर हमें दीन बोहोत दायर हो जय जी,


    तुम मिलना चहो जी मगेर मुज को दाख ना पाओ जी,

    तुम ढोन्दो जी मुज मेजर दाख ना पाओ जी,


    तुम तर्पो जी मेरी याद मुख्य या आंसू बाहओ जी।

    मुझ देखे बेना ik pal bhe na reh pao gee।


    मेरी याद मुख्य तुम गम योग हो जाओ जी,

    खुद अपनी गाली का पटा भ भूल जाओ जी,


    केवल तसौउर मुख्य तुम आइज खो जाओ जी,

    कोई पुकार गा तुम मेरी हाय बातेन दोहराओ जी,


    या मुख्य द्वार खरा तेरी बैचैनी को दाखेता राहून गा,

    या तुम कुच पाल के लिये मुज से खफा हो जाओ जी,


    या मुख्य तेरी बिखरी ज़ल्फ़ून को सनवरून गा,

    या तुम शर्मा कर मात्र गैले से लग जाओ जी,


    या फिर जब तुम रुख करहेन दरवाजा चाली जाओ जी,

    हमें डिन मुझे फ़िर तुम से याही बाट कहून गा,


    किसी रोज़ तुम को भी मेरी बोहोत याद आई जी?