Atrij Kasera
Corona को समर्पित :-
तेरे सिवा भी कई रंग ख़ुशनज़र थे मगर
जो तुझको देख चुका हो वो और क्या देखे
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परवीन शाक़िर
संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
ravindra jain
हरिजन सीट पर केवल हरिजन ही लडेगा पिछडा सीट पर केवल पिछडा़ तो सवर्ण सीट पर केवल सवर्ण क्यो नही ये कोई कानून है यह तो सवर्णो का शोषण है मै इसका विरोध करता हू।
Anupama Jain
मुझसे पूछोगे
प्रेम,इश्क,मोहब्बत क्या है?
मैं कहूंगा एक सुंदर सोच है
जो धर्म और सत्य पर बनाए रखता है
रास्ता भटकने नही देता प्रेम
प्रेम दर्द नही देता
प्रेम करुणा को जगाता है
प्रेम दिव्य शक्ति है
यदि आपके हृदय में ये शक्ति जाग जाए
तो कान्हा भी आपको पाने के लिए धरती पर आएगा
प्रेम एक विश्वास
उम्मीद है जो टूटती नही
प्रेम को सभी प्रेम करते
प्रेम के बदले सदैव प्रेम मिलता
प्रेम को सभी नमस्कार करते
प्रेम के आगे दुनिया जुकी रहती
यदि प्रेम पर बने रहे
तो समय आने पर प्रेम सर्व श्रेष्ठ बना देगा
प्रेम की नियति बड़ी प्यारी है
अद्भुत है
ये वो दिव्य शक्ति है
जिसे सब पाने को मचलते
प्रेम से आप धरती का संतुलन भी कर सकते
प्रेम से सारे पुरुष और स्त्रीयों की सर्व श्रेष्ठ प्रेम कहानी भी बना सकते
संसार को प्रेम की दिशा में भी ले जा सकते
प्रेम वही शक्ति है जिससे संसार टीका हुआ है
#कृष्ण
Meghanshu jain
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