संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
ʍaռɖɛɛք ʍaɦɨ
Two Sikhs, one Christian and one Muslim. Army officers and gentlemen reviewing arrangements for Amaranth Yatra, a Hindu festival...
A perfect secularism in the Indian Army.
Lt Gen Ranbir Singh, Army Cdr
Lt Gen KJS Dhillon, Chinar Corps Cdr
Maj Gen Johnson Mathew, GOC
Brig SA Usman.
Wish the country could follow the similar model.....
पायल शर्मा
वैष्णो देवी धाम के लिए निकले तीर्थयात्रियों पर हुए इस्लामिक आतंक'वादी आक्रमण में मारे गए श्रद्धालुओ को नमन करती हूं
karan thakral
संगति का असर
कहा जाता है कि अच्छी संगति और अच्छे विचार इंसान की प्रगति का द्वार खोल देते हैं । संगति इंसान के जीवन में बहुत बड़ा महत्व रखती है , अगर आप बुरी संगति में हों तो आप कितने भी बुद्धिमान क्यों ना हों आप कभी भी जीवन में आगे नहीं बढ़ पाएंगे और वहीँ अगर आप अच्छे लोगों की संगति में हैं तो आपको बड़ी बड़ी समस्याएँ भी छोटी लगने लगेंगी । ऐसी ही एक सच्ची घटना आपके सामने प्रस्तुत है
अल्बर्ट आइंस्टीन, दुनिया के महान वैज्ञानिक जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में अपना बहुत बड़ा योगदान दिया है । एक बार आइंस्टीन Relativity नामक Physics के टॉपिक पर रिसर्च कर रहे थे और इसी के चक्कर में वो बड़ी बड़ी यूनिवर्सिटीज और कॉलेज में जाते थे और लोगों को लेक्चर देते थे । उनका ड्राइवर उनको बहुत बारीकी से देखा करता था ।
एक दिन एक यूनिवर्सिटी में सेमिनार ख़त्म करके आइंस्टीन घर लौट रहे थे , अचानक उनके ड्राइवर ने कहा – सर जो आप Relativity पर यूनिवर्सिटी में लेक्चर देते हो ये तो बहुत आसान काम है ये तो मैं भी कर सकता हूँ । आइंस्टीन ने हँसते हुए कहा – ओके ,चिंता ना करो तुम्हें एक मौका जरूर दूंगा ।
फिर अगले दिन जब आइंस्टीन नई यूनिवर्सिटी में लेक्चर देने गए तो उन्होंने अपने ड्राइवर को अपने कपडे पहना दिए और खुद ड्राइवर के कपडे पहन लिए और ड्राइवर से लेक्चर लेने को कहा । उस बिना पढ़े लिखे ड्राइवर ने बिना किसी दिक्कत के बड़े बड़े प्रोफेसरों के सामने लेक्चर दिया, किसी को पता ही नहीं चला कि वो आइंस्टीन नहीं है । लेक्चर खत्म होते ही एक प्रोफ़ेसर ने उस ड्राइवर से कुछ सवाल पूंछे तो इस पर ड्राइवर ने कहा – इतना आसान सवाल, इसका जवाब तो मेरा ड्राइवर ही दे देगा । ड्राइवर के रूप में आइंस्टीन आगे आये और सारे सवालों का जवाब दिया ।
बाद में आइंस्टीन ने सबको बताया कि लेक्चर देने वाला शख्स आइंस्टीन नहीं आइंस्टीन का ड्राइवर है तो वहां बैठे सभी प्रोफेसरों ने दातों तले उँगलियाँ चबा लीं किसी को यकीन नहीं हुआ कि जो Relativity बड़े बड़े प्रोफेसरों को समझ नहीं आती इस ड्राइवर ने उसे कितनी आसानी से दूसरों को समझाया है ।
इसे कहते है संगति का असर , आइंस्टीन के साथ रहकर एक बिना पढ़ा ड्राइवर भी इतना बुद्धिमान हो गया । मित्रों अच्छे विचार और अच्छी संगति इंसान में हिम्मत और सकारात्मकता का भाव लाती है , तो कोशिश करिये कि बुरे व्यसन, बुरी आदतों और बुरी संगति से बचा जाये फिर उसके बाद जीवन बहुत उज्जवल होने वाला है