संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
ARVIND Ashiwal
विधवा माँ और कुंवारा बेटा ....
दोनों अलग -अलग घरों में रहतें हैं ..
और बात करते हैं भारत जोड़ने की ..
अरे पहले खुद का परिवार तो जोड़ लो
फिर भारत जोड़ना।