संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
ARVIND Ashiwal
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सोने चांदी का मूल्य
सिर्फ जो दुकान पर रखा है
उसका ही बढा है या
जो घर मे पड़ा है
उसका भी बढ़ा है
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