संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
ARVIND Ashiwal
*राहुल गांधी की दादी की हत्या ख़ालिस्तानियों ने की।*
*खरगे जी के परिवार को निज़ाम के जिहादी रज़ाकरों ने मारा।*
*लेकिन दोनों मिलकर हिंदुओं को आतंकी बताते हैं।*
*ये हैं सेकुलरिज्म।।*