Let's start Vedic Bharat again. .Unite the world with Vedic origin knowledge. .Let's make Sanskrit the Power Language of world..and Start Sanskrit Gurukul every corner of our Motherland...
Shailesh Kumar
हालांकि ये सच कांग्रेस का मुंह बहुत काला कर देगा लेकिन वो सच अब तुमको सुनना पड़ेगा राहुल गांधी क्योंकि देश के प्रधानमंत्री को अत्यन्त अभद्रता से सम्बोधित करते हुए तुमने पूछा है कि लद्दाख की गलवान घाटी में कल क्या हुआ, क्यों हुआ, हमारे जवान क्यों मारे गए और हमारी जमीन लेने की चीन की हिम्मत कैसे हुई.?
यह सच बताने के लिए तुमको वो कहानी नहीं याद दिलाऊंगा जो 58 बरस पुरानी है और 1962 वाली जवाहर लाल की तत्कालीन करतूतों और कुकर्मों को उजागर करती है... इसके बजाय ये कहानी तब की है जब देश की राजनीति और देश की सरकार तुम्हारे इर्दगिर्द तुम्हारे इशारों पर नाचा करती थी.
तो ध्यान से सुनो राहुल गांधी. लद्दाख की गलवान घाटी में कल जो हुआ और हमारे जवानों को बलिदान इसलिए देना पड़ा क्योंकि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के सामने डर से थर-थर कांपते हुए उस तरह घुटने नहीं टेके जिस तरह से यूपीए सरकार का कांग्रेसी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चीन के सामने टेक दिया करता था.
अब बताता हूं कि कांग्रेसी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चीन के आगे घुटने किस तरह टेक दिया करता था. 15 अप्रैल 2013 को लद्दाख में चीनी सेना की भारी घुसपैठ के बाद स्थिति का आंकलन करने लद्दाख गए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष श्यामसरन ने वहां से लौट कर 12 अगस्त 2013 को तत्कालीन कांग्रेसी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी गयी अपनी रिपोर्ट में बताया था कि चीन ने डेपसांग बुग क्षेत्र में भारत की 640 वर्ग किलोमीटर भूमि पर क़ब्ज़ा कर लिया है और 4 स्थानों पर भारतीय सेना अब पेट्रोलिंग नहीं कर पा रही है. यह खबर 5,6,7 सितम्बर 2013 को देश के सभी प्रमुख अखबारों पत्रिकाओं से लेकर जापान से प्रकाशित होने वाली अन्तरराष्ट्रीय पत्रिका "दि डिप्लोमैट" समेत दुनिया भर के संचार माध्यमों में प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी. लेकिन खबर सिर्फ इतनी ही नहीं थी. बल्कि इससे भी ज्यादा शर्मनाक खबर एक और भी थी.
मई 2013 में ही लद्दाख के चुमार इलाके में घुसी चीनी सेना की मांग पर तत्कालीन कांग्रेसी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वहां बने सामरिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण भारतीय सेना के बंकरों को अपने हाथों से तोड़ने के लिए भारतीय सेना के जवानों को मजबूर कर दिया थ.इसे कहते हैं घुटने टेकना.
तुमको पता नहीं क्यों यह याद नहीं राहुल गांधी कि 23 जनवरी 2009 को तत्कालीन यूपीए सरकार ने चीन में बने भारतीय खिलौनों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था. लेकिन इस प्रतिबंध पर चीन ने 9 फरवरी 2009 को खुलेआम धमकी दी थी. चीन की धमकी के सामने तत्कालीन कांग्रेसी प्रधानमंत्री एक महीने भी नहीं टिक पाया था और 2 मार्च 2009 को उसने प्रतिबंध हटा लिया था. इसे कहते हैं घुटने टेक देना. जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी वर्ष जनवरी में चीन के खिलौनों पर कस्टम ड्यूटी में 200% की वृद्धि तथा आटो और आटो पार्ट्स फूड प्रोसेसिंग प्रोडक्ट्स पर 100% ड्यूटी बढ़ाकर चीन के निर्यात पर प्रचंड प्रहार किया है और चीन की जबर्दस्त मांग के बावजूद कस्टम ड्यूटी में एक प्रतिशत की कमी नहीं की है.
राहुल गांधी कांग्रेसी नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की ऐसी करतूतों की सूची बहुत बड़ी है लेकिन उपरोक्त उदाहरण पर्याप्त हैं तुमको यह समझाने के लिए कि लद्दाख की गलवान घाटी में कल जो हुआ वो इसलिए हुआ, हमारे जवान ने इसलिए अपने प्राणों का बलिदान दिया क्योंकि देश का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीन के सामने डर से थर-थर कांपते हुए उस तरह घुटने नहीं टेकता जिसतरह यूपीए सरकार का कांग्रेसी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चीन के सामने टेक दिया करता था. इसके बजाय आज देश का प्रधानमंत्री अपनी 56" की छाती तान कर गर्व से कहता है कि देश नहीं झुकने दूंगा...!!!
अन्त में यह भी जान लो राहुल गांधी कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों तथा अनेक देशों की वैश्विक सैटेलाइटों द्वारा हर घण्टे खींची जाने वाली फोटो यह बता रहीं हैं कि एक इंच भारत भूमि पर भी चीन नहीं घुस पाया है. कल के संघर्ष स्थल की सैटेलाइट फोटो तक भी यह बता रहीं हैं कि वह संघर्ष भारत भूमि के बजाय सीमा के उस तरफ चीन की भूमि पर हुआ है. इसलिए चीन के कब्जे का झूठा और देशघाती राग अलापना बंद कre