संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
Vinay Pitalia
प्रार्थना
टूटे ना कोई और सितारा, दुआ करें।
बिछड़े ना कोई हमसे हमारा, दुआ करें।
तूफान है तेज,
कश्तियां सबकी भंवर में है,
सबको मिले किनारा आओ, दुआ करें।।