Anil Kumar
उल्टे बांस बरेली को
पिछले सप्ताह ईरान का एक तेल का जहाज़ तेल लेकर वेनेज़ुएला पहुँचा। अब आप पूछेंगे कि इसमें समाचार क्या हुआ, तेल के जहाज़ आते जाते रहते है इधर उधर......
समाचार ये है कि स्वयं वेनेज़ुएला में तेल का दुनिया का सबसे बड़ा भंडार है। फिर भी ईरान से तेल मंगाना पड़ा वो भी उपहार में, क्यूँकि ख़रीदने के भी पैसे नहीं है वेनेज़ुएला के पास। ऐसा इसलिए हुआ क्यूँकि बीस साल पहले वेनेजुएला पर वामपंथियो का क़ब्ज़ा हो गया। वेनेज़ुएला वालों को लगा होगा कि इतना तेल है तो ये तो सब मुफ़्त ही कर देंगे, उन्हें सत्ता सौंप दी। हुआ एकदम उल्टा। न केवल सब अत्यंत महँगा हो गया, बल्कि सब कुछ लुप्त भी हो गया। अब वहाँ खाने के लिए दंगे होते है।
मिल्टन फ़्रीड्मन नाम के अर्थशास्त्री ने कहा था कि वामपंथीयो को सहारा रेगिस्तान भी दे दो तो दस साल में वहाँ रेत की कमी हो जाएगी।
वेनेज़ुएला के बारे में आपको वामपंथी नही बताएगा। क्यूँकि उसी के क़ब्ज़े में शिक्षा, मीडिया, व फ़िल्में है। ये तो इंटर्नेट आ गया तो हम लोगों को पता चल गया कि जहां भी वामपंथी सत्ता क़ब्ज़ाते है, वहाँ करोड़ों लोगों को मार डालते है व बाक़ी भूख से मरना आरम्भ कर देते है।
अभी भारत में आपको मायग्रंट लेबर दिखाएँगे वामपंथी, ये नहीं बताएँगे कि दिल्ली व मुंबई में तो इनहि की सरकार है वहाँ से मायग्रंट लेबर को भागना क्यूँ पड़ा।
आपने भी तो मुफ़्तखोरी के चक्कर में केजरीवाल को वोट दिया था। इतनी महँगी पड़ेगी केजरीवाल की मुफ़्तखोरी दिल्ली को कि सौ साल तक दिल्ली उभर नहीं पाएगी।
Sk Tripathi