Satya Narayan Meena
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं,
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं ।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं,
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ।
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् |
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ||
आञ्जनेयमतिपाटलाननं काञ्चनाद्रिकमनीयविग्रहम् |
पारिजाततरुमूलवासिनं भावयामि पवनानन्दनम् ||
यत्र-यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र-तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम् |
बाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम् ||
हे रामा पुरुषोत्तमा नरहरे नारायणा केशव ।
गोविन्दा गरुड़ध्वजा गुणनिधे दामोदरा माधवा ।।
हे कृष्ण कमलापते यदुपते सीतापते श्रीपते ।
बैकुण्ठाधिपते चराचरपते लक्ष्मीपते पाहिमाम् ।।
आदौ रामतपोवनादि गमनं हत्वा मृगं कांचनम् ।
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव सम्भाषणम् ।।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरीदाहनम् ।
पश्चाद्रावण कुम्भकर्णहननं एतद्घि रामायणम् ।।
नीलाम्बुज श्यामल कोमलांगम सीतासमारोपित वामभागम् |
पाणौ महासायकचारूचापं नमामि रामं रघुवंशनाथम् ||
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वैधसे !
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नमः !!
जय रघुनंदन जय सियाराम !
जानकी वल्लभ सीताराम !!
!!! जय जय सियाराम जी !!!
महा रूद्र के ग्यारहवें अवतार आपकी जय होवे
राम भक्ति साकार दिव्य आकार आपकी जय होवे …
हनुमानञ्जनीसुनुर्वायुपुत्रो महाबलः ।
रामेष्टः फाल्गुनसखः पिङ्गाक्षोऽमोतविक्रमः ॥१॥
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशनः ।
लक्ष्मणप्राणदाताश्च दशग्रीवस्य दर्पहा ॥२॥
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मनः ।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्रा काले च यः पठेत् ॥३॥
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत् ।
राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन ॥४॥
मंगल भवन अमंगल हारी ! द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी !!
दीनदयाल बिरिदु सम्भारी !हरहु नाथ मम संकट भारी !
जय जय जय हनुमान जी …
जय जय जय बजरंग बलि …
जय श्री राम ... जय श्री राम ... जय श्री राम ... जय श्री राम ... जय श्री राम ... जय श्री राम ... जय श्री राम ...
सीताराम सीताराम सीताराम कहिये
जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये …
।। सियावर रामचन्द्र की जय ।।
जय सियाराम …
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम …
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
राम सिया राम सिया राम जय जय राम …
मंगल भवन अमंगल हारी
द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम - २
हो, होइहै वही जो राम रचि राखा
को करे तरफ़ बढ़ाए साखा
हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी
आपद काल परखिये चारी
हो, जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू
सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू
हो, जाकी रही भावना जैसी
रघु मूरति देखी तिन तैसी
रघुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाए पर वचन न जाई
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
हो, हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता
कहहि सुनहि बहुविधि सब संता
राम सिया राम सिया राम जय जय राम ...
Samarjeet Singh
(owner)
शरीर में 70% पानी होता है
कायदे से देखा जाये तो हमलोग मोटे नहीं है।
बस..बाढग्रस्त हैं।
और जो लोग पतले हैं वो सूखाग्रस्त है।
Amit Sharma
जिस पल आपकी मृत्यु हो जाती है, उसी पल से आपकी पहचान एक "बॉडी" बन जाती है।
अरे
"बॉडी" लेकर आइये,
"बॉडी" को उठाइये,
"बॉडी" को सूलाइये
ऐसे शब्दो से आपको पूकारा जाता है, वे लोग भी आपको आपके नाम से नही पुकारते ,
जिन्हे प्रभावित करने के लिये आपने अपनी पूरी जिंदगी खर्च कर दी।
इसीलिए निर्मिती" को नही
निर्माता" को प्रभावित करने के लिये जीवन जियो।
जीवन मे आने वाले हर चूनौती को स्वीकार करे।......
अपनी पसंद की चिजो के लिये खर्चा किजिये।......
इतना हंसिये के पेट दर्द हो जाये।....
आप कितना भी बूरा नाचते हो ,
फिर भी नाचिये।......
उस खूशी को महसूस किजिये।......
फोटोज् के लिये पागलों वाली पोज् दिजिये।......
बिलकुल छोटे बच्चे बन जायिये।
क्योंकि मृत्यु जिंदगी का सबसे बड़ा लॉस नहीं है।
लॉस तो वो है
के आप जिंदा होकर भी आपके अंदर जिंदगी जीने की आस खत्म हो चूकी है।.....
हर पल को खूशी से जीने को ही जिंदगी कहते है।
"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं,
"काम में खुश हूं," आराम में खुश हू,
"आज पनीर नहीं," दाल में ही खुश हूं,
"आज गाड़ी नहीं," पैदल ही खुश हूं,
"दोस्तों का साथ नहीं," अकेला ही खुश हूं,
"आज कोई नाराज है," उसके इस अंदाज से ही खुश हूं,
"जिस को देख नहीं सकता," उसकी आवाज से ही खुश हूं,
"जिसको पा नहीं सकता," उसको सोच कर ही खुश हूं,
"बीता हुआ कल जा चुका है," उसकी मीठी याद में ही खुश हूं,
"आने वाले कल का पता नहीं," इंतजार में ही खुश हूं,
"हंसता हुआ बीत रहा है पल," आज में ही खुश हूं,
"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं,
अगर दिल को छुआ, तो जवाब देना,
वरना बिना जवाब के भी खुश हूं..!!