Nalini Mishra
*भगवान राम के आदर्श आपके जीवन को सुशोभित करे व आपका जीवन राममय बने*।
*रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ*।
mahen kumawat
आपके बच्चों के पास अच्छी वुद्धि है बस इसी बात से संतोष मत कर लेना, उसे वुद्धि के साथ-साथ अच्छे संस्कारों से अवश्य सिंचित करियेगा।
बच्चों को सिखाओ नहीं करके दिखाओ, इससे वो जल्दी सीख जाते हैं। बच्चे वो नहीं करते जो आप कहते हैं, बच्चे वो करते हैं जो आप करते हैं।
चाहकर भी आप अपने बच्चों से अपने पैर नहीं छुआ सकते इसके लिए पहले आपको स्वयं अपने माता-पिता के पैर प्रतिदिन छूने होंगे।
जो बात जीभ से कही जाती है उसका प्रभाव ज्यादा नहीं होता, जो बात जीवन से करके दी जाती है उसका ज्यादा प्रभाव होता है।
अच्छी बातें केवल चर्चा का विषय नहीं हों वो चर्या ( आचरण ) का विषय जरूर बनें। आप चिल्लाओगे तो बच्चे भी चिल्लाना सीख जायेंगे।
अपने बच्चों को जीविका निर्वहन की ही शिक्षा मत देना, अच्छा जीवन जीने की भी शिक्षा देना।
एक श्रेष्ठ बालक का निर्माण मंदिर बनाने जैसा ही है।
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सुख के समय - धन्यवाद / कृतज्ञता
दुःख के समय - प्रार्थना / अरदास
हर समय - स्मरण / नाम जपते हुए कार्य करते रहना
हर पल व्यक्ति यह चुनाव कर सकता है वह दुखी रहे या प्रसन्न।
यदि वह दुखी रहने का चुनाव करता है, तो इसका अर्थ है कि यह उसकी आदत में शुमार हो गया है
ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करना सीखो। उस ईश्वर ने आपको जो भी और जितना भी दिया है वो आपके कारण नहीं अपितु अपनी करुणा से दिया है। ईश्वर के लेन-देन में कभी फर्क न करना अपितु जो भी आपको मिला उसमें फक्र जरूर करना।
अगर तुम्हारे पास पैरों में पहनने को जूते नहीं तो चिन्ता मत करना क्योंकि इस दुनियाँ में कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनके पास पैर ही नहीं हैं।
अगर तुम्हारे पास हाथों में पहनने को घड़ी नहीं तो चिन्ता मत करना क्योंकि इस दुनियाँ में कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनके पास हाथ ही नहीं।
तुम दुनियाँ के उन खुशनसीब आदमियों में से हो जिनके पास वो दो हाथ हैं जिनसे सिकन्दर ने दुनियाँ जीती।
तुम्हारे पास वो दो पैर हैं जिन पैरों पर चलकर कोलंबस ने अमेरिका की खोज की और
तुम्हारे पास वो दो आँखें हैं चक्रवर्ती सम्राट धृतराष्ट्र भी जिनसे वंचित रह गए थे।
अगर अब भी आपकी दृष्टि अभाव की तरफ जाती है तो समझ लेना अब आपके पास सब कुछ है सिवा संतोष के।
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एक सम्राट का बेटा था, जो मूढ़ था। और सम्राट परेशान हो गया। बुद्धिमानों से सलाह ली, तो उन्होंने कहा कि यहां तो कोई उपाय नहीं है। दूर देश किसी और राजधानी में एक विश्वविद्यालय है, वहां भेजो।
भेज दिया गया।
वर्षों की शिक्षा के बाद बेटे ने खबर भेजी कि अब मैं बिलकुल निष्णात हो गया, दीक्षित हो गया। सब शिक्षा मैंने पा ली। अब मुझे वापस लौटने की आज्ञा दे दी जाए।
सम्राट ने उसे वापस बुला लिया। सम्राट भी खुश हुआ।
वह सभी शास्त्रों का ज्ञाता होकर आ गया।
वह ज्योतिष भी जानता है।
वह भविष्यवाणी भी कर सकता है।
वह लोगों के पीछे अतीत में भी देख सकता है।
उन दिनों जो-जो विज्ञान था, वह सब जानकर आ गया।
सम्राट बहुत खुश हुआ। उसने देश के सभी बुद्धिमानों को स्वागत के लिए बुलाया। अपने बेटे के स्वागत का समारंभ किया। बड़े-बड़े बुद्धिमान आए।
एक बूढ़ा भी आया। उस बूढ़े ने उस बेटे से कई सवाल पूछे। पूछा कि तुमने क्या-क्या अध्ययन किया? तो वह करिक्युलम लाया था अपने विश्वविद्यालय का। उसने निशान लगा रखे थे कि मैंने क्या-क्या पढ़ा। उसने सब बताया।
परीक्षा के लिए बूढ़े ने–क्योंकि उसने कहा कि मैं अदृश्य चीजों को भी देख पाता हूँ, उनका भी अंदाज लगा पाता हूं, उनका भी अनुमान कर पाता हूं–उस बूढ़े ने बातचीत करते-करते अपने हाथ का छल्ला निकालकर अपनी मुट्ठी में अंदर कर लिया। बंद मुट्ठी उस लड़के के सामने की और कहा कि मुझे बताओ, इस मुट्ठी के भीतर क्या है?
उस लड़के ने एक सेकेंड आंख बंद की और कहा कि एक ऐसी चीज है जो गोल है और जिसमें बीच में छेद है।
बूढ़ा हैरान हुआ। बूढ़े ने समझा कि लड़का सचमुच ही बुद्धिमान होकर लौट आया है। सब शास्त्र उसने जान लिए हैं।
फिर भी उसने एक सवाल और पूछा कि कृपा करके उस चीज का नाम भी तो बताओ!
तो उस युवक ने आंखें बंद कीं, बहुत देर तक नहीं खोलीं। और फिर कहा कि मैंने जो शास्त्रों का अध्ययन किया, उसमें नाम बताने का कहीं भी कोई आधार नहीं मिलता है। फिर भी मैं अपने कामन सेंस से, अपनी बुद्धि से कहता हूं कि आपके हाथ में गाड़ी का चाक होना चाहिए।
वह जो बेचारा पहले बताया था, वह शास्त्र था।
अब जो बता रहा है, वह खुद है!
उस बुद्धिमान ने अपने मन में ही सोचा, उसने अपने मन में ही कहा कि
यू कैन एजुकेट ए फूल, बट यू कैन नाट मेक हिम वाइज–
● मूढ़ को भी शिक्षित किया जा सकता है, लेकिन बुद्धिमान नहीं बनाया जा सकता।
सभी बुद्धिमानों में बुद्धि होती है, इस भ्रम में मत पड़ना।
अधिक बुद्धिमानों में बुद्धि का सिर्फ धोखा होता है; उधार होता है।
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अपना भला करें पर दूसरों का बुरा न हो
निज हित की कामना सभी के भीतर होती है कोई भी काम करना होअपना भला जरूर हो ऐसी भावना सभी रखते हैं लोग अपने भले के लिए ही कार्य आरंभ करते हैं बहुत कम लोग होते हैं
जो अपना भी अच्छा हो जाए और
दूसरे का बुरा भी न हो
ऐसी वृत्ति रखते हों।
ऐसी वृत्ति हो तो अपनी भलाई सोचना स्वार्थ नहीं होगा हमें स्वार्थ छोड़कर ऐसे काम जरूर करने चाहिए, जिनसे दूसरों का भला हो कैसे अपना भला हो जाए, दूसरे का बुरा न हो यह श्रीराम से सीखा जा सकता है ।
लंका कांड में भगवान राम अंतिम समय तक प्रयास करते रहे कि रावण के भीतर की बुराई मिट जाए।जामवंत के प्रस्ताव पर अंगद को दूत बनाकर भेजना तय हुआ l अंगद रामजी की सेना का सबसे युवा सदस्य था ।
नई पीढ़ी को समय रहते अधिकार और जिम्मेदारियां सौंप देनी चाहिए ।
अंगद जाने लगे तो श्रीराम ने उन्हें बड़ी अद्भुत शिक्षा दी तुलसीदासजी ने लिखा,
‘बहुत बुझाइ तुम्हहि का कहऊॅ l
परम चतुर मैं जानत अहऊॅ ll
काजु हमार तासु हित होई l
रिपु सन करेहु बतकही सोई ll
रामजी कहते हैं,‘अंगद, मैं जानता हूं,
तुम परम चतुर हो परंतु रावण से बात करते समय पूरी तरह से सावधान रहना वैसी ही बात करना, जिससे हमारा काम भी हो जाए और उसका भी कल्याण हो ।
यह कहने के लिए बड़ी ताकत चाहिए राम जैसे लोग ही ऐेसे संवाद बोल सकते हैं ।
जब हम भक्ति कर रहे हों, उसमें अपना भला जरूर सोचिए पर दूसरे का बुरा न हो जाए, इसे लेकर भी सावधान रहिए।
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एक बार स्वामी विवेकानंद विदेश में सेब खरीद रहे थे।
दुकानदार ने उन्हें ख़राब सेब दे दिए। एक बालक यह सब कुछ देख रहा था। जब विवेकानंद जी चलने लगे तो उसने तुरंत विवेकानंद से प्रार्थना की, ‘आप ये सेब मुझे दे दीजिये और इसकी कीमत ले लीजिये।’
विवेकानंद जी को बालक का व्यव्हार कुछ अजीब लगा।
कारण पूछने पर बालक ने कहा, ‘ये सेब ख़राब हैं। अपने देश में जाकर मेरे देश की बुराई करे,यह मेरे लिए कलंक की बात होगी ।
विवेकानंद उसके देशप्रेम को देखकर हैरान रह गए।
उन्होंने कहा , ‘मुझे तुम्हारे देशप्रेम पर गर्व हैं । मैं तुम्हारे देश की बुराई नहीं करूँगा , बल्कि अपने देश के लोगो से कहुँगा की इस देश का बच्चा बच्चा देशप्रेमी हैं ।
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चुभन
Pt Anil Katiha
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के सामने
कुछ प्रस्तुति और कुछ सवाल -
(My Right to Dissent) -
इस लेख के माध्यम से कोरोना मामले
पर अपने साथी जजों के साथ सुनवाई
कर रहे बेंच के प्रमुख जस्टिस चंद्रचूड़
के सामने मैं कुछ बातें रखना चाहता
हूँ और कुछ सवाल भी करना चाहता
हूँ -
29 अप्रैल के अपने लेख में मैंने लिखा
था कि कुछ अदालतों के न्यायाधीश
भद्दी और तल्ख़ टिपण्णी कर रहे हैं
खासकर जस्टिस सांघी की टिपण्णी
का जिक्र किया था जिसमे उन्होंने
सरकार से कहा था --भीख मांगो,
उधार लो या चोरी करो --
अगले दिन ASG तुषार मेहता ने ये
मसला आपकी बेंच के सामने उठाया
तो आपने कहा कि हर स्तर पर संयम
होना चाहिए -
मुझे लगा मेरी बात सही जगह पहुँच
गई और नोटिस कर ली गई -
लेकिन कल चुनाव आयोग के बारे में
मद्रास हाई कोर्ट की टिपण्णी को, जिसमे
आयोग को कोरोना का दोषी और लोगों
का हत्यारा कहा गया, आपने कड़वी दवा
बता कर सही ठहरा दिया --मतलब एक
इन में संयम की बात ख़तम हो गई --
मद्रास हाई कोर्ट को सही ठहराते हुए
आप एक बात भूल गए कि चुनाव आयोग
एक संवैधानिक संस्था है, ना कि कोई
बड़भूजे की दुकान --मद्रास हाई कोर्ट
स्वयं भी पूरे चुनाव प्रचार में चुप बैठा
रहा, जो उसे खुद को भी दोषी
ठहरता है --
परसों आपने केंद्र से कहा कि 4 दिन
में ऑक्सीजन का बफर स्टॉक तैयार
करो, 15 दिन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति
तैयार हो और किसी अस्पताल में
आधार कार्ड के बिना मरीज के दाखिल
करने पर मनाही ना हो --
अस्पतालों में मरीज भर्ती करने के लिए
राज्य भी कुछ करेंगे या नहीं --इतने
शीघ्र आदेशों के पालन कराने के हुकुम
देते हुए कभी ये भी विचार हो जाना
चाहिए कि कितने कितने सालों से
अदालतों में मुक़दमे लंबित पड़े हैं --
और फिर राष्ट्रीय नीति पर राज्य सरकारें
अमल नहीं करेंगी तो क्या होगा -कुछ
उदहारण देता हूँ जिनमे राज्यों ने क्या
गुल खिलाये हैं --
1) आयुष्मान भारत योजना गरीबों को
5 लाख का इलाज देने वाली योजना
2018 में केंद्र ने शुरू की --दिल्ली ने
इसे मार्च, 2020 में लागू किया, बंगाल,
ओडिशा और तेलंगना ने लागू नहीं की -
इन राज्यों में लागू करवाएंगे क्या ?
2) संसद से पारित CAA कानून को
लागू करने के लिए 7 राज्यों ने मना
कर दिया --और अभी तक सुप्रीम
कोर्ट ने इस पर कोई फैसला नहीं
दिया है --क्या संसद के कानून का
राज्य ऐसे मखौल उड़ा सकते हैं;
3) कृषि कानून भी संसद ने पारित
किये थे जिनके खिलाफ आपकी
अदालत कथित किसानो को 120
दिनों से सड़कों पर बैठ कर सबको
परेशान करने की अनुमति दिए हुए
है, उनका हिंसक तांडव देखते रहे
26 जनवरी को और अब उन्हें गैर
कानूनी पक्के घर बनाने के लिए
इज़ाज़त दे रही हैं;
4) देश के 8 राज्यों ने केंद्रीय जांच
एजेंसी CBI के लिए अपने दरवाजे
बंद किये हुए हैं और उनकी इस
हरकत को आपकी अदालत ने
सही करार दिया हुआ है --क्या खुल
कर भ्रष्टाचार करने की अनुमति
दी गई है इस तरह -
5) आज सुप्रीम कोर्ट समेत कई
हाई कोर्ट कोरोना को लेकर स्वतः
संज्ञान लिए हुए सुनवाई कर रहे हैं
मगर कोलकत्ता हाई कोर्ट 2 दिन से
बंगाल में हो रहे हिंसा के तांडव को
खामोश देख रहा है --
आपका कोर्ट भी 5 साल ममता के
तांडव को आँखे बंद करके देखता
रहा, कभी स्वतः संज्ञान ले कर
कार्रवाई नहीं की लेकिन यदि
राष्ट्रपति शाशन लग जाता तो दिन
रात एक हो जाते अदालत में -
6) RERA कानून 2016 में संसद ने
पास किया लेकिन ममता ने अभी तक
लागू नहीं किया --आज आपने आदेश
दिया है उसे बंगाल में लागू करने के
लिए लेकिन अनेक राज्यों ने इसे
अभी भी लागू नहीं किया है -
कोरोना एक ऐसा विषय है या कहिये
तो ऐसा युद्ध है जिससे लड़ने के लिए
अदालतों को सरकार से सहयोग करना
चाहिए -
(सुभाष चन्द्र)
"मैं वंशज श्री राम का"
04/05/2021
Raja Bhardwaj
गजब का खेल चल रहा है आज
दिल्ली मे वायरस से वायरस संक्रमित हो रहा है
Shailesh Kumar
हालांकि ये सच कांग्रेस का मुंह बहुत काला कर देगा लेकिन वो सच अब तुमको सुनना पड़ेगा राहुल गांधी क्योंकि देश के प्रधानमंत्री को अत्यन्त अभद्रता से सम्बोधित करते हुए तुमने पूछा है कि लद्दाख की गलवान घाटी में कल क्या हुआ, क्यों हुआ, हमारे जवान क्यों मारे गए और हमारी जमीन लेने की चीन की हिम्मत कैसे हुई.?
यह सच बताने के लिए तुमको वो कहानी नहीं याद दिलाऊंगा जो 58 बरस पुरानी है और 1962 वाली जवाहर लाल की तत्कालीन करतूतों और कुकर्मों को उजागर करती है... इसके बजाय ये कहानी तब की है जब देश की राजनीति और देश की सरकार तुम्हारे इर्दगिर्द तुम्हारे इशारों पर नाचा करती थी.
तो ध्यान से सुनो राहुल गांधी. लद्दाख की गलवान घाटी में कल जो हुआ और हमारे जवानों को बलिदान इसलिए देना पड़ा क्योंकि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के सामने डर से थर-थर कांपते हुए उस तरह घुटने नहीं टेके जिस तरह से यूपीए सरकार का कांग्रेसी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चीन के सामने टेक दिया करता था.
अब बताता हूं कि कांग्रेसी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चीन के आगे घुटने किस तरह टेक दिया करता था. 15 अप्रैल 2013 को लद्दाख में चीनी सेना की भारी घुसपैठ के बाद स्थिति का आंकलन करने लद्दाख गए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार परिषद के तत्कालीन अध्यक्ष श्यामसरन ने वहां से लौट कर 12 अगस्त 2013 को तत्कालीन कांग्रेसी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी गयी अपनी रिपोर्ट में बताया था कि चीन ने डेपसांग बुग क्षेत्र में भारत की 640 वर्ग किलोमीटर भूमि पर क़ब्ज़ा कर लिया है और 4 स्थानों पर भारतीय सेना अब पेट्रोलिंग नहीं कर पा रही है. यह खबर 5,6,7 सितम्बर 2013 को देश के सभी प्रमुख अखबारों पत्रिकाओं से लेकर जापान से प्रकाशित होने वाली अन्तरराष्ट्रीय पत्रिका "दि डिप्लोमैट" समेत दुनिया भर के संचार माध्यमों में प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी. लेकिन खबर सिर्फ इतनी ही नहीं थी. बल्कि इससे भी ज्यादा शर्मनाक खबर एक और भी थी.
मई 2013 में ही लद्दाख के चुमार इलाके में घुसी चीनी सेना की मांग पर तत्कालीन कांग्रेसी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वहां बने सामरिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण भारतीय सेना के बंकरों को अपने हाथों से तोड़ने के लिए भारतीय सेना के जवानों को मजबूर कर दिया थ.इसे कहते हैं घुटने टेकना.
तुमको पता नहीं क्यों यह याद नहीं राहुल गांधी कि 23 जनवरी 2009 को तत्कालीन यूपीए सरकार ने चीन में बने भारतीय खिलौनों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था. लेकिन इस प्रतिबंध पर चीन ने 9 फरवरी 2009 को खुलेआम धमकी दी थी. चीन की धमकी के सामने तत्कालीन कांग्रेसी प्रधानमंत्री एक महीने भी नहीं टिक पाया था और 2 मार्च 2009 को उसने प्रतिबंध हटा लिया था. इसे कहते हैं घुटने टेक देना. जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी वर्ष जनवरी में चीन के खिलौनों पर कस्टम ड्यूटी में 200% की वृद्धि तथा आटो और आटो पार्ट्स फूड प्रोसेसिंग प्रोडक्ट्स पर 100% ड्यूटी बढ़ाकर चीन के निर्यात पर प्रचंड प्रहार किया है और चीन की जबर्दस्त मांग के बावजूद कस्टम ड्यूटी में एक प्रतिशत की कमी नहीं की है.
राहुल गांधी कांग्रेसी नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की ऐसी करतूतों की सूची बहुत बड़ी है लेकिन उपरोक्त उदाहरण पर्याप्त हैं तुमको यह समझाने के लिए कि लद्दाख की गलवान घाटी में कल जो हुआ वो इसलिए हुआ, हमारे जवान ने इसलिए अपने प्राणों का बलिदान दिया क्योंकि देश का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चीन के सामने डर से थर-थर कांपते हुए उस तरह घुटने नहीं टेकता जिसतरह यूपीए सरकार का कांग्रेसी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चीन के सामने टेक दिया करता था. इसके बजाय आज देश का प्रधानमंत्री अपनी 56" की छाती तान कर गर्व से कहता है कि देश नहीं झुकने दूंगा...!!!
अन्त में यह भी जान लो राहुल गांधी कि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों तथा अनेक देशों की वैश्विक सैटेलाइटों द्वारा हर घण्टे खींची जाने वाली फोटो यह बता रहीं हैं कि एक इंच भारत भूमि पर भी चीन नहीं घुस पाया है. कल के संघर्ष स्थल की सैटेलाइट फोटो तक भी यह बता रहीं हैं कि वह संघर्ष भारत भूमि के बजाय सीमा के उस तरफ चीन की भूमि पर हुआ है. इसलिए चीन के कब्जे का झूठा और देशघाती राग अलापना बंद कre
Rahul Shukla
"कर्मों "की "चपेट" से कौन बचा है जिसने जैसा" करा "है उसने वैसा" भरा "है