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Mahesh Hinduja
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#आमदनी_अट्ठन्नी_खर्चा_रूपैया
चीन को छोड़ भारत सहित लगभग सारे देश यही करते हैं भारतीय नागरिक विषेष कर सनातनी भी चार्वाक दर्शन के प्रभाव में लगभग ऐसा ही करने लगा है
‘यावज्जजीवेत सुखं जीवेत
ऋण कृत्वा घृतं पीबेत ।
भस्मी भूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुत:”।
‘जब तक जियो सुख से जियो कर्ज लेकर घी पियो शरीर भस्म हो जाने के बाद वापस नही आता है।‘– चार्वाक
अभी विश्व में चल रहा शीत युद्ध जिसमें शाहीनबाग, दिल्ली,अमेरिका के दंगे पूरी दुनियां से चीन की झड़प,और मुख्यत: चीनी राजनीतिक पार्टी #CCP के मालिकाना हक वाली हवा हवाई कंपनी #Huawei के #5G नेटवर्क आदि के विवाद का बीज चार्वाक दर्शन ही है
अमेरिका का राष्ट्रीय रोजगार मुख्यत: विध्वंसक हथियार बना कर बेचना है
भारत खेती, खनिज पदार्थों, और अनिवासी भारतियों के श्रम पर आश्रित है।
हम गाय को दूह कर सारा दूध बेच पी या बहा देते हैं पर गाय को युक्तिसंगत चारा खिला कर गौवंश संवर्धन नहीं करते, व्यवसाय नौकरी से जितना कमाते हैं सारा उड़ा देते हैं, इसपर भी मन न भरे तो ऋण महाराज की जय
अभी अमेरिका की समस्या यह है कि खजाना खाली है कंपनियों ने व्यवसाय से जितना कमाया उड़ा डाला अनुसंधान शोध पर कुछ भी निवेश नहीं किया अर्थात गौवंश कासंवर्धन तो दूर गाय को पर्याप्त चारा तक नहीं खिलाया आज अमेरिका के पास न तो #5G तकनीक है न उस तकनीक को खरीदने के लिये धन ही
अमेरिका को इस हालत में पहुंचाने में चार्वाकी मानस और चीन के साथ वहां की टुकड़े टुकड़े गैंग का हांथ है।
आज चीन अपने यहां शोध और अनुसंधान कर विकसित की हुई #5G तकनीक और सेवाओं के बल पर पूरे विश्व में एक क्षत्र राज्य करने के लिये संकल्पित है।
उसके पास इतना धन है कि वह समूचे विश्व में अनुमति मिलने पर #5G नेटवर्क की स्थापना और सुचारु रुप से संचालन कर सकता है।
अपनी इस शक्ति के बल पर चीन यह शर्त रखने का दुस्साहस कर रहा है कि अमेरिका सहित जिस भी देश में वह इस नेटवर्क की स्थापना करेगा डाटा सेंटर पूरी तरह उसके कब्जे में रहेंगे
कोई देश विरोध करे तो खबरंडी टुकड़े गैंग
मानवाधिकारी काले सफेद, सेक्युलर मीम भीम सड़कों पर उतर आएंगे आपका पूरा देश जल कर राख हो जाएगा।
तो भैये रुपैया कमाओ चवन्नी धंधे में वापस लगाओ चवन्नी नाती पोते के लिये चवन्नी अपने बुढ़ापे के लिये रख बची चवन्नी में ऐश की जिन्नगी जियो।
क्या कहा चवन्नी में नहीं जी सकते ?
और मेहनत करो अधिक कमाओ चवन्नी से अधिक का अधिकारी कोई नहीं होता
"यह सिन्ध की अर्थ नीति है"