Sushil Kumar Jaiswal
#चीन , #युद्ध और #चुनौतियां
इस वक्त देश कई मोर्चों पर कई चुनौतियों से एक साथ निपट रहा है। इस वक्त चीन LAC पर जितनी गलतियां कर रहा है उसका #खामियाजा उसे उतना ही भुगतना पड़ रहा है। शायद ये पहली बार है कि भारत के किसी #प्रधानमंत्री ने इतने कड़े शब्दों में चीन को चेताया है । और ये पहली बार ही है कि बॉर्डर में किसी से उलझने के बाद चीन को 40 से ज्यादा सैनिक खोना पड़ा और उनके टेंट #उखाड़ फेंक दिए गए । भारत मे चीनी उत्पादों का बहिष्कार शुरू हो गया है और चीन दबी आवाज में #गिड़गिड़ाने भी लगा है।पर इतना पर्याप्त नही है। चीन एक बहुत ही #चालाक, #धोखेबाज, #धूर्त,#तकनीक #सम्पन्न और #ताकतवर देश है। उसे घुटने पर लाना इतना आसान नही है। युद्ध के मैदान में हम लद्दाख और #सियाचिन में ऊपरी सतह पर होने के कारण मजबूत स्थिति में हैं लेकिन आर्थिक मोर्चे पर हम चीनी उत्पाद के बड़े #उपभोक्ता हैं पर बड़े #उत्पादक नहीं। अगर आज हम ये सोच रहे हैं कि चीनी सामानों का बहिष्कार करके हम चीन को दबा लेंगे तो ये हमारी गलत फहमी ज्यादा दिन तक नही टिकेगी क्योकि इससे #आंशिक_फायदा ही होगा और अब भी आंशिक फायदा ही हो पा रहा है। चीन से आर्थिक मोर्चा लेने के लिए हमे 3 काम जरूर करने पड़ेंगे।
1.-भारतीयो को चीनी उत्पादों का #बहिष्कार करने पड़ेगा ।
2.-जिन चीनी उत्पादों पर हम और हमारी दिनचर्या निर्भर हो गई है उन #उत्पादों(अच्छी गुणवत्ता युक्त) का निर्माण भारत मे बड़े पैमाने पर करना होगा और भारत मे ही विकल्प तैयार करना होगा।ऐसे में हम अपने उत्पाद का #उपभोग भी करेंगे और अन्य देशों को निर्यात भी।
3.-भारत की #जनसंख्या लगभग चीन के बराबर (10 करोड़ कम हैं भारत मे)ही है इसलिये जनसंख्या को ही यहां की ताकत बनना पड़ेगा। रोजगार मांगने वाला बनने की जगह #रोजगार_देने_वाला बनना पड़ेगा । इसके लिए सरकारों को भी आगे आना होगा,फैक्टरी और लेबर लॉ लोगो और नव उद्यमियों के लिए सरल और सुलभ करने होंगे।
Sajal Debnath
গাইঘাটা থানার সামনে অবস্থান বিক্ষোভ এখনো চলছে
rohit sahu जिला मंत्री
सह कार्यालय भाजपा कानपुर महानगर उत्तर
भारतीय जनता पार्टी का मूल श्यामाप्रसाद मुखर्जी द्वारा १९५१(1951) में निर्मित भारतीय जनसंघ है। १९७७(1977) में आपातकाल की समाप्ति के बाद जनता पार्टी के निर्माण हेतु जनसंघ अन्य दलों के साथ विलय हो गया। इससे १९७७ में पदस्थ कांग्रेस पार्टी को १९७७ के आम चुनावों में हराना सम्भव हुआ। तीन वर्षों तक सरकार चलाने के बाद १९८०(1980) में जनता पार्टी विघटित हो गई और पूर्व जनसंघ के पदचिह्नों को पुनर्संयोजित करते हुये भारतीय जनता पार्टी का निर्माण किया गया। यद्यपि शुरुआत में पार्टी असफल रही और 1984 के आम चुनावों में केवल दो लोकसभा सीटें जीतने में सफल रही।( इसका बड़ा कारण १९८४ में इंदिरा गांधी की हत्या के कारण उनके बेटे राजीव गांधी को सहानुभूति की लहर थी) इसके बाद राम जन्मभूमि आंदोलन ने पार्टी को ताकत दी। कुछ राज्यों में चुनाव जीतते हुये और राष्ट्रीय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करते हुये १९९६ में पार्टी भारतीय संसद में सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। इसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया जो १३ दिन चली। १९९८ में आम चुनावों के बाद भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का निर्माण हुआ और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी जो एक वर्ष तक चली। इसके बाद आम-चुनावों में राजग को पुनः पूर्ण बहुमत मिला और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार ने अपना कार्यकाल पूर्ण किया। इस प्रकार पूर्ण कार्यकाल करने वाली पहली गैर कांग्रेसी सरकार बनी। २००४ के आम चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा और अगले १० वर्षों तक भाजपा ने संसद में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभाई। २०१४ के आम चुनावों में राजग को गुजरात के लम्बे समय से चले आ रहे मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारी जीत मिली और २०१४ में सरकार बनायी। इसके अलावा दिसम्बर २०१७ के अनुसार भारतीय जनता पार्टी भारत के २९ राज्यों में से १९ राज्यों में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है। भाजपा की कथित विचारधारा "एकात्म मानववाद" सर्वप्रथम १९६५ में दीनदयाल उपाध्याय ने दी थी। पार्टी हिन्दुत्व के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त करती है और नीतियाँ ऐतिहासिक रूप से हिन्दू राष्ट्रवाद की पक्षधर रही हैं। इसकी विदेश नीति राष्ट्रवादी सिद्धांतों पर केन्द्रित है। जम्मू और कश्मीर के लिए विशेष संवैधानिक दर्जा ख़त्म करना, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करना तथा सभी भारतीयों के लिए समान नागरिकता कानून का कार्यान्वयन करना भाजपा के मुख्य मुद्दे हैं। हालाँकि १९९८-२००४ की राजग सरकार ने किसी भी विवादास्पद मुद्दे को नहीं छुआ और इसके स्थान पर वैश्वीकरण पर आधारित आर्थिक नीतियों तथा सामाजिक कल्याणकारी आर्थिक वृद्धि पर केन्द्रित रही।