केशरीलाल स्वामी बुधवाली
बहस नहीं, बगावत नहीं,
बात करो तो आ जाओ !
बिछड़े हैं आपस में कब से,
मुलाक़ात करो तो आ जाओ !!
\u00a9केशव स्वामी
MUKESH SINGH PARIHAR
त्रेतायुग में जब भगवान राम 14 साल का वनवास काट कर अयोध्या आये थे,तो पूरी अयोध्या दीपों से जगमगा उठी थी।आज कलयुग में फिर प्रभु श्रीराम का आगमन हो रहा है।इस बार पूरा देश दीपों से जगमगाना चाहिए।।
Ranjeet Rai
ये अप्रैल 1911 था जब विनायक दामोदर सावरकर की सारी संपत्ति निलामी के लिए रख दी गई थी। उनका सारा सामान यहां तक की घर के बर्तन तक जब्त कर लिए गए थे। साल भर में दूसरी बार नासिक के लोग ऐसी निलामी देख रहे थे। क्योंकि अभी कुछ दिन पहले उनके बड़े भाई गणेश सावरकर 25 साल काला पानी की सजा होने पर भी ऐसे ही सारा सामान जब्त करके निलाम किया गया था। उनके छोटे भाई नारायण सावरक र भी इस समय एक दूसरे केस में छह महीने के सजा पाए जेल में बंद थे।
सावरकर की कुल संपत्ति से कुल 27 हजार रुपए अंग्रेजब सरकार को प्राप्त हुए। उनके श्वसुर जिन्होंने उनकी पढ़ाई का काफी खर्चा उठाया था उनकी संपत्ति से अंग्रेज सरकार 6,725 रुपए प्राप्त हुए। सावरकर परिवार जिस मकान में रहता था वो घर भी जब्त कर लिया गया जो देश आजाद होने के बाद तक सरकार के अधीन रहा।
कुछ दिन बाद सावरकर से उनका चश्मा और छोटी सी भागवत गीता की प्रति भी त्यागने के लिए कहा गया। बाद में सरकार ने रहम दिल दिखाते हुए उन्हें एक आना कीमत वाली गीता और चश्मा लौटा दिया लेकिन इन्हें अब उन्हें सरकारी संपत्ति के तौर पर इस्तेमाल करना था। इसके अलावा गले में लोहे का बिल्ला भी मिला जिस पर रिहाई का साल 1960 अंकित था।
ऐसी स्थिति लंदन का एक बैरिस्टर, दुर्दांद अपराधियों के साथ उपमहाद्वीप की सबसे बदनाम जेल में अगले 50 साल की उम्र कैद काटने जा रहा था।
वैसे ये वो समय था जब अंग्रेजों को अहिंसा से उखाड़ फेंकने वाले गांधी जी वर्धा से लेकर साबरमती तक देश में एक के बाद एक कई एकड़ में बने आश्रम पर आश्रम ठोंकते जा रहे थे उस समय सावरकर के घर बर्तन निलाम हो रहे थे लेकिन उन्हें क्या याद रहा 60 रुपए की पेंशन...
खैर, अभी भी कुछ ज्यादा बदला नहीं है
तब अंग्रेज सरकार घर के बर्तन बेच रही थी
आज इटली वाले गद्दार बता रहे हैं....