देश हित में देश प्रेमी, जीता है अपनी जिन्दगी।
देश प्रेमी के चरण में,मैं करूँ हरदम बन्दगी ।।
जख्म़... moreदेश हित में देश प्रेमी, जीता है अपनी जिन्दगी।
देश प्रेमी के चरण में,मैं करूँ हरदम बन्दगी ।।
जख्म़ बढ़ता जा रहा धरती गगन भी रो रहे।
सन्नाटों में खो गए विहग जन के चहचहे।।
महावीरों का कलेजा नोचता जब काग हो।
आपसी विद्रोह का जब देश मध्ये राग हो।।
अपने घर को जला डाले ऐसी जो भी आग हो।
कन्टकों के मध्य माता भारती भूभाग हो ।।
तुम झुलसते फूल को मुस्कान का भाषण न दो।
जिसके नीचे साँप हो, ऐसा सुखद आसन न दो।।
सैन्य हूँ मैं सिंह की आवाज़ में दहाड़ता हूँ।
देश प्रेमी मैं हमेशा ,शत्रु को ललकारता हूँ।।
देश प्रेमी ही मिटाता ,गद्दारी की गन्दगी ।
देश हित में देश प्रेमी ,
जीता है अपनी जिन्दगी।।
जिन्दगी धिक्कार है,
जो भारती हित न जिये।
मरण तो निश्चित है इक दिन,
हो मरण किसके लिए।।
देश हित में मरण का,
रण में बरण हम जानते।
भारत माँ के हृदय की ,आवाज़ को पहचानते ।।
बचन, मन, तन, प्राण,
अर्पण करके करता बन्दगी।
देश हित में देश प्रेमी ,
जीता है अपनी जिन्दगी ।। less
Nalini Mishra
*भगवान राम के आदर्श आपके जीवन को सुशोभित करे व आपका जीवन राममय बने*।
*रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ*।
शशिरंजन सिंह
मोदी मायने क्या ?
मोदी का मायने समझने के लिए प्रधानमंत्री पद पर आसीन पूर्व व्यक्तियों की फाइल उलटनी होगी
और महानियत के पर्दे बिल्कुल हटाकर वास्तविक तथ्य देखना होगा। इसके बाद तुलनातमक अध्ययन करना होगा।
आज एक अच्छा पोस्ट पढ़ा, जिसमें उल्लेख था कि जब मनमोहन सिंह को इंग्लैंड में डिग्री मिली
उन्होंने शुक्रिया अदा करते हुए अँग्रेजों की गुलामी की सराहना की।
बताया कि शिक्षा, भाषा, ज्ञान-विज्ञान, कानून देकर अँग्रेज ने भारत को कृतार्थ किया।
इस तरह की बातें मैंने अँग्रेज के शुक्रगुजार प्रोफेसरों के मुँह से सुनी है।
अँग्रेजों को भारत का उद्धारकर्ता माननेवाले लोग अकादमिक- शैक्षिक क्षेत्र में मिल जाएँगे।
एक मनमोहन सिंह ही अंग्रेज परस्त नहीं है।
कम्युनिस्टों का कारोबार भी अँग्रेज पर ही आधारित है, जैसे आर्य आगमन थ्यूरी इत्यादि।
मनमोहन सिंह अच्छे गुलाम नहीं होते तो प्रधानमंत्री बनना तो बहुत दूर की बात है, उन्हें कहीं अन्यत्र ठिकाना नहीं मिलता।
मनमोहन सिंह रिफ्युजी पंजाबी और अनुसूचित जाति के व्यक्ति थे, गुलामी की कला उनके व्यक्तित्व में कूट-कूट कर भरी थी।
जब सोनिया खारिज हो गई, मनमोहन डंमी प्रधानमंत्री हुए,
तब उनके एक पाकिस्तानी रिस्तेदार चर्मकार ने जूते का उपहार भेजा था।
यह पाकिस्तानी जूता किसके सिर पर गिरा?
राष्ट्रीय स्वाभिमान हीन उन तमाम लोगों के सिर पर जिन्होंने सोनिया को नेता चुना।
सोनिया ने मनमोहन को किसी अज्ञात के इशारे पर प्रधानमंत्री बनाया।
मनमोहन वर्ड बैंक के कर्मचारी थे, उन्हें वर्ल्ड बैंक ने इंदिरा गांधी का आर्थिक सलाहकार बनाकर तब भेजा था
जब इंदिरा गांधी ने आईएमएफ से कर्ज लेने से इंकार कर दिया। उन्हें मनमोहन की माया में फँसाया गया था।
आप जानते होंगे इन्दरकुमार गुजराल भी प्रधानमंत्री हुए थे। वह भी पाकिस्तान परस्त रिफ्युजी मिजाज के आदमी थे।
ये पाकिस्तान केन्द्रित सोच के लोग हैं इनके दिमाग का देश उन्हीं तक सिमटा हुआ है।
सोनिया, मनमोहन, गुजराल जैसे लोग जब भारत पर राज कर सकते हैं तब शत्रु देश क्यों नहीं सोचेगा कि भारत को गुलाम बनाना बड़ी बात नहीं है।
पाकिस्तान के लिए ही नहीं, चीन के लिए भी भारत की जनता की ऐसी मूर्खताएं उत्साहित करती रहीं।
उन दिनों की पाकिस्तानी और चीनी हरकतों को याद कीजिए और सोचिए सबकुछ होते हुए भी भारत का मान-सम्मान गिरा हुआ क्यों था?
इस पृष्ठभूमि में भारत राष्ट्र के पक्ष में खड़ा होकर देखिए मोदी का मायने समझ में आ जाएगा।
पराग रस्तोगी
\u26f3जिनके मन में श्री राम है
भाग्य में उसके वैकुण्ठ धाम है
उनके चरणो में जिसने जीवन वार दिया
संसार में उसका कल्याण है।
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर्व की ढेरों शुभकामनाएं \u26f3
Hind ki Sena
लड़का हाफ पैंट पहनकर खेलने गया और फुल पैंट पहनकर घर लौटा. क्या हुआ ये समझने में 3 मिनट लग गए.
कबड्डी खेलते समय वह अपने कोर्ट में घुसने के लिए कूदा, लड़का कोर्ट में घुस गया, पैंट दूसरे पक्ष के हाथ में रह गई। आखिर में उनका एक दोस्त ka पैंट पहनकर घर लौटा.
हे महादेव, मुझे एक सीढ़ी दो!! उठना hai!! कौन जानता है कि और क्या देखना है!!