संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
प्रमोद कुमावत Pramod kumawat
महाकवि सुब्रमण्यम भारती ऐसे साहित्यकार थे जो सक्रिय रूप से स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल रहे, जबकि उनकी रचनाओं से प्रेरित होकर दक्षिण भारत में बड़ी तादाद में आम लोग आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।