Vinay Pitalia
प्रार्थना
टूटे ना कोई और सितारा, दुआ करें।
बिछड़े ना कोई हमसे हमारा, दुआ करें।
तूफान है तेज,
कश्तियां सबकी भंवर में है,
सबको मिले किनारा आओ, दुआ करें।।
अशोक "प्रवृद्ध"
अन्धं तम: प्रविशन्ति येऽसंभूतिमुपासते ।
ततो भूय इव ते तमो य उ संभूत्यां रता: । ।
-यजुर्वेद 40/9
अर्थात - वह व्यक्ति प्रगाढ़ अन्धकार को प्राप्त होते हैं, जो असम्भूति (त्रिगुणात्मिका मूलप्रकृति) की उपासना करते हैं । उससे भी अधिक अन्धकार को वे प्राप्त होते हैं, जो सम्भूति (स्थूल प्रपन्च) की उपासना करते हैं । स्थूल जगत को ही परमार्थ समझते हैं ।