दुर्गेश तिवारी Durgesh Tiwari
इस वैदिक ज्योतिषी द्वारा की गई कुछ रोचक भविष्यवाणियां!
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पीवीआर नरसिम्हा राव अमेरिका में रहने वाले ज्योतिषी हैं। उनके पास IIT, मद्रास से स्नातक की डिग्री और राइस यूनिवर्सिटी, ह्यूस्टन से परास्नातक है। वह ज्योतिष के अनुसंधान में गए क्योंकि उन्हें विज्ञान के बारे में संदेह था .. आज, वह ज्योतिष में एक स्वीकृत मास्टर हैं। स्वर्गीय बेजान दारूवाला की तरह नरसिम्हा राव भी अपनी भविष्यवाणी के लिए प्रसिद्ध हुए हैं।
वह ऋषियों की शिक्षाओं में नए शोध करने के लिए संस्कृत के अपने ज्ञान को वैज्ञानिक स्वभाव के साथ जोड़ने का दावा करता है। अन्य भविष्यवाणियों में, राव ने कोविड महामारी और डोनाल्ड ट्रम्प की हार की सटीक भविष्यवाणी की।
यहाँ उनकी भविष्य की भविष्यवाणियों का सार है:
1. आंध्र प्रदेश के सीएम वाईएस जगन अगले कार्यकाल के लिए भी अच्छा राजनीतिक समय बिता रहे हैं। उसे अगली बार तभी हराया जा सकता है जब दूसरा पक्ष प्रामाणिक और प्रतिबद्ध हो। अन्यथा, जगन कार्यालय में एक और कार्यकाल जीतेंगे।
2. योगी आदित्यनाथ 2022 के विधानसभा चुनावों में सहज अंतर से जीत हासिल करेंगे।
3. बीजेपी 2024 के राष्ट्रीय चुनाव जीतेगी, लेकिन 2026 की शुरुआत में मोदी प्रधानमंत्री पद योगी आदित्यनाथ को सौंप देंगे और सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
4. वर्ष 2030-2031 वह वर्ष है जिसमें एक प्रमुख विश्व युद्ध (उर्फ) महाभारत होगा। इस मुश्किल समय में योगी आदित्यनाथ शानदार ढंग से भारत का नेतृत्व करेंगे।
5. तिब्बत अगले 10-15 वर्षों में मुक्त हो जाएगा जबकि चीन कई हिस्सों में बंट जाएगा।
6. अमेरिका का लगातार नीचे जाना तय है, जैसे यूके ने WW-II के बाद किया था।
7. अफगानिस्तान के लिए सुरंग के अंत में रोशनी दूर है। मुझे 2042 तक किसी सुधार की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है।
8. पाकिस्तान के लिए 2022 के मध्य से बहुत बुरा समय आ रहा है। तालिबान द्वारा निर्मित उग्रवाद पाकिस्तान और चीन दोनों के लिए समस्याएं पैदा करेगा।
चीन को शिनजियांग प्रांत में तालिबान द्वारा समर्थित उइगरों द्वारा बहुत अधिक अशांति देखने की संभावना है।
9. मध्य पूर्व जल जाएगा। मध्य पूर्व में प्रमुख शक्तियों के माध्यम से उथल-पुथल मचने वाली है। ईरान इस उथल-पुथल का केंद्र होगा।
10. 2019 से 2036 के बीच के वर्ष दुनिया के लिए सबसे अशांत वर्ष हैं। 20वीं सदी को देखो; 1920 से 1945 तक हालात बहुत खराब थे, (अर्थात 25 साल .. महामहामारी ने 1920 में तबाही मचाई, 1929 के दशक में महामंदी शुरू हुई, उसके बाद विश्व युद्ध हुआ। 21वीं सदी में भी यही पैटर्न सामने आएगा, लेकिन इतनी लंबी अवधि के लिए नहीं।
वास्तव में 2026 के बाद महामंदी की आशंका है, उसके बाद 2030-2032 के बीच एक संक्षिप्त विश्व युद्ध होगा, और फिर चीजें शांत होने लगेंगी।
11. धर्मत्यागी, नास्तिक आदि की जनसंख्या। हर धर्म में विस्फोट होने वाला है। जबकि यह हिंदू धर्म के लिए अच्छा होगा, यह अब्राहिमिनिक धर्मों (ईसाई) के लिए बहुत बुरा होगा, और इस्लाम के लिए सबसे बुरा होगा।
12. पश्चिमी सभ्यता मूल रूप से टिकाऊ नहीं है। यह प्रकृति के विरुद्ध है। भारतीय, लैटिन अमेरिकी, न्यूजीलैंड के आदिवासी, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका जैसी पुरानी सभ्यताएं पर्यावरण के साथ कहीं अधिक तालमेल और संगत थीं। पश्चिमी सभ्यता अब से कुछ दशकों तक भी प्रकृति द्वारा कायम नहीं रह सकती है
13. आने वाला सर्वनाश प्रकृति द्वारा 'कोर्स सुधार' के अलावा और कुछ नहीं है। इस उथल-पुथल के समाप्त होने के बाद, दुनिया एक स्थायी जीवन शैली, एक धार्मिक जीवन शैली, (अर्थात) सनातन धर्म की ओर बढ़ेगी।
संपादक की टिप्पणी: हम केवल तथ्य आधारित तर्कवादी दृष्टिकोण में विश्वास करते हैं। चूंकि ज्योतिषी लोकप्रिय है, इसलिए हम जानकारी के लिए उसकी भविष्यवाणियों को प्रकाशित कर रहे हैं ताकि जिज्ञासु लोग तथ्यों के साथ पढ़ और सत्यापित कर सकें क्योंकि कुछ भविष्यवाणियां चुनावों के बारे में हैं जो बहुत दूर नहीं हैं।
https://www.primepost.in/modi-to-handover-reins-to-yogi-in-middle-of-next-term/
Dinesh Choubey
*गुरुकुल कैसे खत्म हो गये*❓
आपको पहले ये बता दें कि, हमारी सनातन संस्कृति परम्परा के गुरुकुलों में क्या-क्या पढ़ाया जाता था ! आर्यावर्त के गुरुकुल के बाद, ऋषिकुल में क्या पढ़ाई होती थी, ये जान लेना आवश्यक है। इस शिक्षा को लेकर अपने विचारों में परिवर्तन लायें और प्रचलित भ्रांतियां दूर करें !
01 अग्नि विद्या (Metallurgy)
02 वायु विद्या (Flight)
03 जल विद्या (Navigation)
04 अंतरिक्ष विद्या (Space Science)
05 पृथ्वी विद्या (Environment)
06 सूर्य विद्या (Solar Study)
07 चन्द्र व लोक विद्या (Lunar Study)
08 मेघ विद्या (Weather Forecast)
09 पदार्थ विद्युत विद्या (Battery)
10 सौर ऊर्जा विद्या (Solar Energy)
11 दिन रात्रि विद्या
12 सृष्टि विद्या (Space Research)
13 खगोल विद्या (Astronomy)
14 भूगोल विद्या (Geography)
15 काल विद्या (Time)
16 भूगर्भ विद्या (Geology Mining)
17 रत्न व धातु विद्या (Gems & Metals)
18 आकर्षण विद्या (Gravity)
19 प्रकाश विद्या (Solar Energy)
20 तार विद्या (Communication)
21 विमान विद्या (Plane)
22 जलयान विद्या (Water Vessels)
23 अग्नेय अस्त्र विद्या (Arms & Ammunition)
24 जीव जंतु विज्ञान विद्या (Zoology Botany)
25 यज्ञ विद्या (Material Sic)
*ये तो बात हुई वैज्ञानिक विद्याओं की । अब बात करते हैं व्यावसायिक और तकनीकी विद्या की !*
26 वाणिज्य (Commerce)
27 कृषि (Agriculture)
28 पशुपालन (Animal Husbandry)
29 पक्षिपलन (Bird Keeping)
30 पशु प्रशिक्षण (Animal Training)
31 यान यन्त्रकार (Mechanics)
32 रथकार (Vehicle Designing)
33 रतन्कार (Gems)
34 सुवर्णकार (Jewellery Designing)
35 वस्त्रकार (Textile)
36 कुम्भकार (Pottery)
37 लोहकार (Metallurgy)
38 तक्षक
39 रंगसाज (Dying)
40 खटवाकर
41 रज्जुकर (Logistics)
42 वास्तुकार (Architect)
43 पाकविद्या (Cooking)
44 सारथ्य (Driving)
45 नदी प्रबन्धक (Water Management)
46 सुचिकार (Data Entry)
47 गोशाला प्रबन्धक (Animal Husbandry)
48 उद्यान पाल (Horticulture)
49 वन पाल (Horticulture)
50 नापित (Paramedical)
यह सब विद्याएँ गुरुकुल में सिखाई जाती थीं। पर समय के साथ गुरुकुल लुप्त हुए तो, यह विद्या भी लुप्त होती गयी ! आज मैकाले पद्धति से हमारे देश के युवाओं का भविष्य नष्ट हो रहा है, तब ऐसे समय में गुरुकुल के पुनः उद्धार की आवश्यकता है।
भारतवर्ष में गुरुकुल कैसे खत्म हो गये ? कॉन्वेंट स्कूलों ने किया बर्बाद ! 1858 में Indian Education Act बनाया गया। इसकी ड्राफ्टिंग ‘लाॅर्ड मैकाले’ ने की थी। लेकिन उसके पहले उसने यहाँ (भारत) की शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कराया था। उसके पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत की शिक्षा व्यवस्था के बारे में अपनी रिपोर्ट दी थी। अंग्रेजों का एक अधिकारी था G.W. Luther, और दूसरा था Thomas Munro ! दोनों ने अलग अलग इलाकों का अलग-अलग समय सर्वे किया था। Luther, जिसने उत्तर भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा है कि यहाँ 97% साक्षरता है। और Munro, जिसने दक्षिण भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा कि यहाँ तो 100% साक्षरता है ।
मैकाले का स्पष्ट कहना था कि, भारत को हमेशा-हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है तो, इसकी “देशी और सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था” को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा और उसकी जगह “अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था” लानी होगी ! तभी, इस देश में शरीर से हिन्दुस्तानी, लेकिन दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे ! और जब इस देश की यूनिवर्सिटी से निकलेंगे तो, हमारे हित में काम करेंगे ।
मैकाले एक मुहावरा इस्तेमाल कर रहा है, कि - “जैसे किसी खेत में कोई फसल लगाने के पहले पूरी तरह जोत दिया जाता है, वैसे ही इसे जोतना होगा और अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी।” इसलिए, उसने सबसे पहले गुरुकुलों को गैरकानूनी घोषित किया। जब गुरुकुल गैरकानूनी हो गए तो, उनको मिलने वाली सहायता, जो समाज की तरफ से होती थी, वो गैरकानूनी हो गयी। फिर संस्कृत को गैरकानूनी घोषित किया और इस देश के गुरुकुलों को घूम घूम कर ख़त्म कर दिया। उनमें आग लगा दी, उसमें पढ़ाने वाले गुरुओं को उसने मारा-पीटा, जेल में डाला।
1850 तक इस देश में ’7 लाख 32 हजार’ गुरुकुल हुआ करते थे और उस समय इस देश में गाँव थे ’7 लाख 50 हजार’। मतलब हर गाँव में औसतन एक गुरुकुल। और ये जो गुरुकुल होते थे, वो सब के सब आज की भाषा में ‘Higher Learning Institute’ हुआ करते थे। उन सबमें 18 विषय पढाये जाते थे और ये गुरुकुल समाज के लोग मिलके चलाते थे, न कि राजा, महाराजा ।
गुरुकुलों में शिक्षा निःशुल्क दी जाती थी। इस तरह से सारे गुरुकुलों को ख़त्म किया गया। और फिर, अंग्रेजी शिक्षा को कानूनी घोषित किया गया और कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया । उस समय इसे ‘फ्री स्कूल’ कहा जाता था। इसी कानून के तहत भारत में कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी, बम्बई यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई गयी, ये तीनों गुलामी के ज़माने की यूनिवर्सिटीज़ आज भी देश में हैं !
मैकाले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी, बहुत मशहूर चिट्ठी है। उसमें वो लिखता है कि, “इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे, जो देखने में तो भारतीय होंगे, लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे और इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा। इनको अपनी संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपनी परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने मुहावरे नहीं मालूम होंगे। जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में, तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ, इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी।” उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई, इस देश में अब साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है। और उस एक्ट की महिमा देखिये कि, हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है। अंग्रेजी में बोलते हैं कि, दूसरों पर रोब पड़ेगा। हम तो खुद में हीन हो गए हैं ! जिसे अपनी भाषा बोलने में शर्म आ रही है, दूसरों पर रोब क्या पड़ेगा।
लोगों का तर्क है कि, अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है ! दुनिया में 204 देश हैं, और अंग्रेजी भाषा सिर्फ 11 देशों में बोली, पढ़ी और समझी जाती है। फिर, ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा है ॽ शब्दों के मामले में भी अंग्रेजी समृद्ध नहीं, दरिद्र भाषा है। इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है, वो भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईशा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे। ईशा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी। अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी। समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी।
संयुक्तराष्ट्र संघ, जो अमेरिका में है, वहां की भाषा अंग्रेजी नहीं है, वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है। जो समाज अपनी मातृभाषा से कट जाता है, उसका कभी भला नहीं होता। और यही मैकोले की रणनीति थी, जिसमें लगभग वो विजय पा चुके थे। क्योंकि, आज का युवा भारत को कम यूरोप को ज्यादा जानता है। भारतीय संस्कृति को ढकोसला समझता है, लेकिन पाश्चात्य देशों की नकल करता है। सनातन धर्म की प्रमुखता और विशेषता को न जानते हुए भी वामपंथियों का समर्थन करता है।
हम सभी को धर्म की जानकारी होनी चाहिये। क्योंकि, धर्म ही हमें राष्ट्र-धर्म सिखाता है, धर्म ही हमे समाजिकता सिखाता है, धर्म ही हमे माता - पिता, गुरु और राष्ट्र के प्रति प्राण न्योछावर करने की प्रेरणा देता है। सनातन परंपरा एक आध्यात्मिक विज्ञान है। जिस विज्ञान को हम सभी आज जानते हैं, उससे बहुत ही समृद्ध विज्ञान ही अध्यात्म है...
*जयतु गुरुकुलम् , जयतु भारतम् ...*
*स्वदेशी शिक्षा अभियान...*
किशन पाण्डेय
Forwarded
दुनिया लेके बैठी थी *परमाणु*
और ठोक गया एक *कीटाणु*
MOHAN LAL
जैसे भी मारा गया, सही है। राजनीति का मोहरा था। ये मोहरे ही समाज को तात्कालिक नुकसान पहुंचाते हैं। ऐशोआराम की जिंदगी के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं जिसका फायदा बड़े बड़े लोग उठाते हैं। लेकिन जब सिरदर्द बन जाते हैं, फिर इनके उपर से छत्रछाया हटा ली जाती है। इन्हें रास्ते से हटा दिया जाता है। फिर कोई नया मोहरा खड़ा होगा। भारत के लोकतंत्र में एक बड़ी कमी यह है कि इसमें जनता जनार्दन( जो एक लोकतंत्र में शिक्षित और समझदार होनी चाहिए), अभी भी इसका बड़ा हिस्सा या तो अशिक्षित है या एक लंबे गुलामी के बाद अभी तक इनकी मानसिकता कुंद ही है। इस प्रकार से यह न तो पहली घटना है और न ही आखिरी।