शशिरंजन सिंह
1991 वामपन्थ ने देश को बर्बाद कर दिया।
1990 रूस टूट चुका था।
अचानक एक ग्रेट इकोनॉमिस्ट वैश्वीकरण की तरफ भारत को ले जाता है।
आखिर इतनी मेहनत लगी थी भारत को अपना सोना गिरवी रखवाने के साथ ही IMF के आगे कटोरा लेकर खड़ा करवाने में।
तय होता है कि IMF पैसा देगा बदले में अपना बाजार खोलो।
5 साल फिर भी नॉन खानदान के प्रधानमंत्री की सरकार चलती है।
Antonia अभी राजनीति से दूर रहने का दिखावा कर रही है।
पुराने सारे हर्डल निकाल दिए गए हैं।
1996-1998 के बीच सत्ता की लड़ाई।
फिर अटल दौर।
इस बीच सोनिया का मुस्लिम लीग पर कब्जा।
1999 में sorrows की एंट्री।
इसी दौर में प्राइवेट चैनल आने शुरू।
मीडिया में एक से एक दल्ले बनने का दौर।
5 साल के अटल के काम को लोगों के दिमाग से हटाने और अटल को किसी ताबूत घोटाले, तहलका आदि में फंसा सत्ता से दूर।
अब सो-रोस और एंटो-निया का मिलन।
सो+निया का राजनीति में जन्म।
मनमोहन दरबारी का प्रधानमंत्री बनना।(क्लब ऑफ रोम)
सो+निया का NAC बना वहां sorrows के लोग बिठाना।
इसी दौर में चीन का बड़ा बनना शुरू।
Sorrows का चीन की तारीफ करना।
ओबामा का चीन को कहना कि हम दोनों G2 हैं जो दुनिया पर राज करेंगे।
सेम जैसा रुजल्वेल्ट ने स्टालिन को द्वितीय महायुद्ध के बाद कहा था कि हम दोनों दुनिया पर राज करेंगे।(भारत स्टालिन को गिफ्ट किया रुजल्वेल्ट ने)
इस तरह चीन का भी भारत मे दखल।
2008 में MoU साइन हुआ मुस्लिम लीग और कम्युनिस्ट पार्टी चीन के बीच।
फिर वो 2004 से 2014 का काल।
लेकिन फिर कुछ बदला।
चीन में जिनपिंग आ गया जिसने खुद को माओ द्वितीय घोषित कर दिया।
इधर मोदी आ गया।
अमरीका चिढ़ गया।
अब दोनों का हटाना है।
पुतिन पहले से ही दुश्मन था क्योंकि वो तो आधुनिक जार जो है।
लेकिन अब sorrows बुड्ढा हो गया है। मरने वाला है।
एंटोनिया भी बूढ़ी हो चुकी।
तो उधर sorrows का लौंडा एलेक्स अब बाप की विरासत चला रहा।
इधर एंटोनिया का लौंडा raul विरासत सम्भाल रहा।
दोनों नए नवेले हैं इसलिए जल्दी एक्सपोज हो रहे।
पुराने घाघ थे तो हमेशा "त्याग की देवी" और "दानवीर देवता(फिलॉन्ट्रोफिस्ट)" की तरह दुनिया मे प्रोजेक्ट होते रहे।
और जितना ये लोग एक्सपोज हो रहे उतना बौखला भी रहे हैं।
अब इकोसिस्टिम पर प्रहार होना शुरू हो चुका।
उधर ट्रम्प खुलकर खेल रहा और इधर मोदी।
पिछले कार्यकालों में दोनों को लगा कि ये पर्दे के पीछे से काम करते हैं तो हम भी पर्दे के पीछे लड़ लेंगे इनसे।
लेकिन इन्होंने दोनों को डैमेज दिया।
ट्रम्प चुनाव हार गया और मोदी 240 पर आ गए।(हमारी वाली सोनिया को न भूलना जिसकी भी भूमिका रही)
तो इसलिए अब खुलकर बैटिंग हो रही है।
शिव कुमार उपाध्याय
*जीवन का आनंद साथ में हैं*
*अकेले हम बूँद हैं,*
*मिल जाएं तो सागर हैं।*
*अकेले हम धागा हैं,*
*मिल जाएं तो चादर हैं।*
*अकेले हम कागज हैं,*
*मिल जाएं तो किताब हैं।*
*
Gaurav chaurasia jhansi
19 Sep, Alwar- 45 year old gang raped by 6.
26 Sep, Alwar- 4 year old girl raped by 47 year old.
Now 2 more minors gang raped in Rajasthan.
@ashokgehlot51 @priyankagandhi
Jp Dhakad
चीनी' को एक 'चाय वाला' ही गर्म पानी में डालकर उबाल के पी सकता है!! सबके बस की बात नहीं है।
Somesh Trigunayat
"क्या ये सही है कि असम में लड़कियां जब बालिग होती हैं तो पहले उनकी शादी केले के पेड़ से कराई जाती है "- मनोज वत्स जी
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हां.ऐसी प्रथा है. इसे तुलोनी बिया कहते हैं ।
आम तौर पर भारत मे जहां माहवारी को एक सामाजिक वर्जना बनाकर रख दिया गया है.वही देश के असम जैसे कई राज्यो में इसे womenhood की प्राप्ति की खुशी में सेलिब्रेट किया जाता है. आमतौर पर भारतीय समाज में किशोरियों को कब पीरियड्स आना शुरू होते हैं इसके बारे में उसके घर की महिलाओं को छोड़कर किसी को जल्दी जानकारी नही हो पाती.यहां तक कि लड़की के घर के पुरुष सदस्य को भी नही।
स्थिति इतनी नाजुक और परेशान करने वाली है कि मानव जीवन निर्माण के एक स्टेप को समाज मे अच्छा नही माना जाता.औरतें दुकानों पर पैड्स तक लेने में घबराती हैं.आफिस में भी अजीब माहौल रहता है इन चार दिनों में ।
परन्तु भारत के ही राज्य असम में ऐसा नही है ।
• असम में जब कोई किशोरी प्रथम बार मेंस्ट्रएशन से होती है तो उसे एक देवी का दर्जा देते हुए एक अलग कमरे में जगह दी जाती है.और उसके लिए लिए एक परंपरा का निर्वाहन किया जाता है इसे तुलोनी बिया कहते हैं.इसका मतलब small marriage होता है ।
• फिर सारे सगे संबंधियों को न्योता दिया जाता है.कुछ औरते वरपक्ष की तरफ हो जाती हैं और कुछ कन्या.और इस प्रकार लड़की की केले के तने के साथ शादी की जाती है. इसे प्रथम विवाह या small marriage या असमिया में तुलोनी बिया भी कहते हैं.ये विवाह जैसा ही होता है.सब लोग खाते पीते और खुशी मनाते हैं ।
• इस प्रकार पूरे समुदाय को किशोरी के पीरियड्स के बारे में पता चल जाता है ।
• तुलोनी बिया के बाद अगर किसी को वो लड़की पसंद आती है या लड़की किसी भी लड़के के साथ रिलेशन में आती है तो उसे एक्सेप्ट कर लिया जाता है.और समाज मे उन्हें प्रताड़ना नही दी जाती बल्कि एक भावी जोड़े के रूप में देखा जाता है.उचित समय देखकर दोनो की शादी की जाती है ।
• हमारे समाज मे दहेज प्रथा है नही .अतः 100 में से लगभग 99 शादियां प्रेम विवाह से ही होती हैं ।
इस प्रकार कह सकते हैं कि असम में हर लड़की की दो शादियां होती हैं ।
असम की तुलोनी बिया कल्चर के बारे में बताने के साथ मेरा उद्देश्य ये बताना है कि पीरियड्स होना कोई अनहोनी नही है.इसे एकदम साधारण रूप से ही लिया जाना चाहिए न कि किसी सामाजिक वर्जना की तरह ।
जैसे एक बालक विकसित होकर पुरुष में तब्दील होता है वैसे बालिकाएं भी विकसित होकर महिलाओं में तब्दील होती हैं.मानव विकास के क्रम में जरूरी जीवन निर्माण की प्रक्रिया के लिए दोनो जरूरी हैं.अपने घर के पुरुष सदस्यों को इस बारे में शिक्षित करें, उनसे बात करें.और उन्हें ओवुलुशन के बारे में जानकारी दें.ताकि किसी ओवल्युटिंग फीमेल को लेकर उनके मन मे बेवजह घृणा या एमबैरेसमेन्ट फील करने की बजाय वे इसे बिल्कुल ही साधारण घटना की तरह लें ।
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अगर शर्म न आये तो अपनी अपनी वाल पर पोस्ट करें।
गीताली सैकिया बहन की वॉल से ......
Shesh Mani Yadav
मित्रों इस विकास दूबे ठोकाई ऐसी होनी चाहिये की दोबारा ऐसी गलती करने वाले की रूह कांप जाये
जय हो योगी जी