शशिरंजन सिंह
*आखिर क्यों मोदी को समंदर में डुबकी लगाकर द्वारका जी के दर्शन करने जाना पड़ा.?*
गुजरात हाई कोर्ट ने Bet Dwarka के 2 द्वीपों पर कब्जा जमाने के सुन्नी वक्फ बोर्ड के सपने को चकनाचूर कर दिया है।।
इस समय गुजरात का यह विषय बहुत चर्चा में है।। सोशल मीडिया के माध्यम से हम लोगों को मालूम पड़ गया वरना पता ही नहीं चलता।
@कैसे पलायन होता है @और कैसे कब्जा होता है, @ लैंड जिहाद क्या होता है वह समझने के लिए _आप बस बेट द्वारिका टापू का अध्ययन करलें तो सब प्रक्रिया समझ आ जायेगी।_
@कुछ साल पहले तक यहाँ कि लगभग पूरी आबादी हिन्दू थी।
यह ओखा नगरपालिका के अन्तर्गत आने वाला क्षेत्र है जहाँ जाने का एकमात्र रास्ता पानी से होकर जाता है।
इसलिए बेट द्वारिका से बाहर जाने के लिए लोग नाव का प्रयोग करते हैं।।
यहाँ द्वारिकाधीश का प्राचीन मंदिर स्थित है।
कहते हैं कि 5 हजार साल पहले यहाँ रुक्मिणी ने मूर्ति स्थापना करी थी।
>समुद्र से घिरा यह टापू बड़ा शांत रहता था।
>लोगो का मुख्य पेशा मछली पकड़ना था।
> _धीरे धीरे यहाँ बाहर से मछली पकड़ने वाले मुस्लिम आने लगे।_
> _दयालु हिन्दू आबादी ने इन्हें वहाँ रहकर मछली पकड़ने की अनुमति दे दी।_
>धीरे धीरे मछली पकडने के पूरे कारोबार पर मुस्लिमों का कब्जा हो गया।
>> *बाहर से फंडिंग के चलते इन्होंने बाजार में सस्ती मछली बेची जिससे सब हिन्दू मछुआरे बेरोजगार हो गये*।
>अब हिन्दू आबादी ने रोजगार के लिए टापू से बाहर जाना शुरू किया।
लेकिन यहां एक और चमत्कार / प्रयोग हुआ ।
बेट द्वारिका से ओखा तक जाने के लिए नाव में 8 रुपये किराया लगता था।
*अब क्योंकि सब नावों पर मुस्लिमों का कब्जा हो गया था तो उन्होंने किराये का नया नियम बनाया।*
_जो हिन्दू नाव से ओखा जायेगा वह किराये के 100 रुपये देगा और मुस्लिम वही 8 रुपये देगा।_
अब कोई दिहाड़ी हिन्दू केवल आवाजाही के 200 रुपये देगा तो वह बचायेगा क्या ?
@ _इसलिए रोजगार के लिए हिन्दुओ ने वहाँ से पलायन शुरू कर दिया।_
@ *अब वहाँ केवल 15 प्रतिशत हिन्दू आबादी रहती है।*
आपने पलायन का पहला कारण यहाँ पढ़ा।
>> _रोजगार के 2 मुख्य साधन मछली पकड़ने का काम और ट्रांसपोर्ट दोनो हिन्दुओ से छीन लिया गया।_
जैसे बाकी सब जगह राज मिस्त्री,कारपेंटर, इलेक्ट्रॉनिक मिस्त्री , ड्राइवर ,नाई व अन्य हाथ के काम 90% तक हिन्दुओ ने उनके हवाले कर दिये हैं।
अब बेट द्वारिका में तो 5 हजार साल पुराना मंदिर है जिसके दर्शन के लिए हिन्दू जाते थे तो इसमें वहां के जिहादियों ने नया तरीका निकाला।
@ क्योंकि *आवाजाही के साधनों पर उनका कब्जा हो चुका था* तो उन्होंने आने वाले _श्रद्धालुओं से केवल 20-30 मिनट की जल यात्रा के 4 हजार से 5 हजार रुपये मांगने शुरू कर दिये।_
@ इतना महंगा किराया आम व्यक्ति कैसे चुका पायेगा इसलिए लोगो ने वहां जाना बंद कर दिया।
>>> अब जब वहाँ पूर्ण रूप से जिहादियों की पकड़ हो गई तो उन्होंने जगह जगह मकान बनाने शुरू किये, देखते ही देखते प्राचीन मंदिर चारों तरफ से *मजारों* से घेर दिया गया।
वहाँ की बची खुची हिन्दू आबादी सरकार को अपनी बात कहते कहते हार चुकी थी, फिर कुछ हिन्दू समाजसेवियों ने इसका संज्ञान लिया और सरकार को चेताया।
सरकार ने ओखा से बेट द्वारिका तक सिग्नेचर ब्रिज बनाने का काम शुरू करवाया।
बाकी विषयो की जांच शुरू हुई तो जांच एजेंसी चौंक गई।
*गुजरात में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका स्थित बेट द्वारिका के दो टापू पर अपना दावा ठोका है।*
वक्फ बोर्ड ने अपने आवेदन
में दावा किया है कि बेट द्वारका टापू पर दो द्वीपों का स्वामित्व वक्फ बोर्ड का है।
गुजरात उच्च न्यायालय ने इस पर आश्चर्य जताते हुए पूछा कि कृष्ण नगरी पर आप कैसे दावा कर सकते हैं और इसके बाद गुजरात उच्च न्यायालय ने इस याचिका को भी खारिज कर दिया।
> बेट द्वारका में करीब आठ टापू है, जिनमें से दो पर भगवान कृष्ण के मंदिर बने हुए हैं।
प्राचीन कहानियां बताती हैं कि भगवान कृष्ण की आराधना करते हुए मीरा यहीं पर उनकी मूर्ति में समा गई थी।
*बेट द्वारका के इन दो टापू पर करीब 7000 परिवार रहते हैं, इनमें से करीब 6000 परिवार मुस्लिम हैं।*
यह द्वारका के तट पर एक छोटा सा द्वीप है और ओखा से कुछ ही दूरी पर स्थित है।
वक्फ बोर्ड इसी के आधार पर इन दो टापू पर अपना दावा जताता है।
यहां अभी इस साजिश का शुरुआती चरण ही है कि इसका खुलासा हो गया.
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक इस चरण में कुछ लोग, ऐसी जमीनों पर कब्जा करके अवैध निर्माण बना रहे थे, जो रणनीतिक रूप से, भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता था.
अब जाकर सब अवैध कब्जे व मजारें तोड़ी जा रही हैं।
माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी की कृपा से अब सी लिंक का उद्घाटन होने वाला है, मुसलमानों के नौका/छोटे पानी के जहाज से यात्रा करवाने का धंधा भी चौपट होने जा रहा है,
जय हो,
मोदी है तो मुमकिन है।
*बेट द्वारिका में आने वाला कोई भी मुसलमान वहाँ का स्थानीय नहीं है सब बाहर के हैं।*
फिर भी उन्होंने धीरे धीरे कुछ ही वर्षों में वहां के हिन्दुओ से सब कुछ छीन लिया और भारत के गुजरात जैसे एक राज्य का टापू *सीरिया* बन गया।
*सावधान व सजग रहना अत्यंत आवश्यक है ।।*
*कम से कम पांच ग्रुप में जरूर भेजे*
*कुछ लोग नही भेजेंगे*
*लेकिन मुझे उम्मीद है आप जरूर भेजेंगे...!*
*जागो हिन्दू जागो...
शिव कुमार उपाध्याय
*जीवन का आनंद साथ में हैं*
*अकेले हम बूँद हैं,*
*मिल जाएं तो सागर हैं।*
*अकेले हम धागा हैं,*
*मिल जाएं तो चादर हैं।*
*अकेले हम कागज हैं,*
*मिल जाएं तो किताब हैं।*
*
Gaurav chaurasia jhansi
19 Sep, Alwar- 45 year old gang raped by 6.
26 Sep, Alwar- 4 year old girl raped by 47 year old.
Now 2 more minors gang raped in Rajasthan.
@ashokgehlot51 @priyankagandhi
Jp Dhakad
चीनी' को एक 'चाय वाला' ही गर्म पानी में डालकर उबाल के पी सकता है!! सबके बस की बात नहीं है।
Somesh Trigunayat
"क्या ये सही है कि असम में लड़कियां जब बालिग होती हैं तो पहले उनकी शादी केले के पेड़ से कराई जाती है "- मनोज वत्स जी
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हां.ऐसी प्रथा है. इसे तुलोनी बिया कहते हैं ।
आम तौर पर भारत मे जहां माहवारी को एक सामाजिक वर्जना बनाकर रख दिया गया है.वही देश के असम जैसे कई राज्यो में इसे womenhood की प्राप्ति की खुशी में सेलिब्रेट किया जाता है. आमतौर पर भारतीय समाज में किशोरियों को कब पीरियड्स आना शुरू होते हैं इसके बारे में उसके घर की महिलाओं को छोड़कर किसी को जल्दी जानकारी नही हो पाती.यहां तक कि लड़की के घर के पुरुष सदस्य को भी नही।
स्थिति इतनी नाजुक और परेशान करने वाली है कि मानव जीवन निर्माण के एक स्टेप को समाज मे अच्छा नही माना जाता.औरतें दुकानों पर पैड्स तक लेने में घबराती हैं.आफिस में भी अजीब माहौल रहता है इन चार दिनों में ।
परन्तु भारत के ही राज्य असम में ऐसा नही है ।
• असम में जब कोई किशोरी प्रथम बार मेंस्ट्रएशन से होती है तो उसे एक देवी का दर्जा देते हुए एक अलग कमरे में जगह दी जाती है.और उसके लिए लिए एक परंपरा का निर्वाहन किया जाता है इसे तुलोनी बिया कहते हैं.इसका मतलब small marriage होता है ।
• फिर सारे सगे संबंधियों को न्योता दिया जाता है.कुछ औरते वरपक्ष की तरफ हो जाती हैं और कुछ कन्या.और इस प्रकार लड़की की केले के तने के साथ शादी की जाती है. इसे प्रथम विवाह या small marriage या असमिया में तुलोनी बिया भी कहते हैं.ये विवाह जैसा ही होता है.सब लोग खाते पीते और खुशी मनाते हैं ।
• इस प्रकार पूरे समुदाय को किशोरी के पीरियड्स के बारे में पता चल जाता है ।
• तुलोनी बिया के बाद अगर किसी को वो लड़की पसंद आती है या लड़की किसी भी लड़के के साथ रिलेशन में आती है तो उसे एक्सेप्ट कर लिया जाता है.और समाज मे उन्हें प्रताड़ना नही दी जाती बल्कि एक भावी जोड़े के रूप में देखा जाता है.उचित समय देखकर दोनो की शादी की जाती है ।
• हमारे समाज मे दहेज प्रथा है नही .अतः 100 में से लगभग 99 शादियां प्रेम विवाह से ही होती हैं ।
इस प्रकार कह सकते हैं कि असम में हर लड़की की दो शादियां होती हैं ।
असम की तुलोनी बिया कल्चर के बारे में बताने के साथ मेरा उद्देश्य ये बताना है कि पीरियड्स होना कोई अनहोनी नही है.इसे एकदम साधारण रूप से ही लिया जाना चाहिए न कि किसी सामाजिक वर्जना की तरह ।
जैसे एक बालक विकसित होकर पुरुष में तब्दील होता है वैसे बालिकाएं भी विकसित होकर महिलाओं में तब्दील होती हैं.मानव विकास के क्रम में जरूरी जीवन निर्माण की प्रक्रिया के लिए दोनो जरूरी हैं.अपने घर के पुरुष सदस्यों को इस बारे में शिक्षित करें, उनसे बात करें.और उन्हें ओवुलुशन के बारे में जानकारी दें.ताकि किसी ओवल्युटिंग फीमेल को लेकर उनके मन मे बेवजह घृणा या एमबैरेसमेन्ट फील करने की बजाय वे इसे बिल्कुल ही साधारण घटना की तरह लें ।
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अगर शर्म न आये तो अपनी अपनी वाल पर पोस्ट करें।
गीताली सैकिया बहन की वॉल से ......
Shesh Mani Yadav
मित्रों इस विकास दूबे ठोकाई ऐसी होनी चाहिये की दोबारा ऐसी गलती करने वाले की रूह कांप जाये
जय हो योगी जी