Roshan lal kumawat
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#हाथरस में जिस #बालिका_की_हत्या हुई वो बालिका जब #घायलावस्था में भर्ती थी उस समय उसने बाकायदा #कैमरे_और_माईक के सामने अपना #बयान_दर्ज कराया था. उस पर हमला करने वाले का नाम बताया था. #घटना_के_विषय_में_विस्तार से बताया था.
अब प्रश्न यह है कि क्या जिस बालिका के #गले_की_हड्डी तोड़ दी गयी हो, #जुबान_काट ली गयी हो, क्या वो बोल सकती है ?
#आप_स्वयं इसका निर्णय करिए या #स्वयं_निर्णय करने में सक्षम ना हों तो अपने आसपास के किसी डॉक्टर से यह पूछ लीजिए कि क्या किसी की गले की हड्डी तोड़ दी गयी हो और उसकी जुबान काट ली गयी हो तो क्या वो बोल सकता है.?
इस एक प्रश्न के उत्तर मात्र से हाथरस की घटना को लेकर फैलाए जा रहे #जहरीले_झूठ_का_सच आपके सामने आ जाएगा. क्योंकि #हाथरस_की_आपराधिक_वारदात में जिस बालिका की हत्या हुई है उसके लिए यह कहा जा रहा है कि उसके गले की हड्डी तोड़ दी गयी थी और उसकी जुबान काट दी गयी थी. आंख फोड़ दी गयी थी. जबकि वीडियो में बोल रही बालिका की आंखें भी बिल्कुल सुरक्षित हैं.
लेकिन हाथरस की घटना को लेकर कल से उपरोक्त घिनौने और सरासर सफ़ेद झूठ को आजतक, ABP न्यूज, ZEE, इंडिया TV और न्यूज 24 सरीखे न्यूजचैनल नॉन स्टॉप दिखा रहे हैं.
#दिल्ली_और_हाथरस_में_जनभावनाएं भड़काने में जुटे हुए हैं. लेकिन उस बालिका तथा उसकी मां का वह वीडियो नहीं दिखा रहे हैं. क्योंकि वो वीडियो इनके झूठ की धज्जियां उड़ा रहा है.
अब सवाल यह है कि यह झूठ का नंगा नाच क्यों हो रहा है.? यह समझने के लिए इस घटनाक्रम से परिचित होइए.
तीन दिन पूर्व चर्चित युवा पत्रकार डॉक्टर मनीष कुमार ने यह सनसनीखेज रहस्योदघाटन किया है कि लुटियनिया मीडिया के कुछ बड़े दलालों ने NCB के जाल में फंस रहे बॉलिवुड के कुछ बड़े मगरमच्छों से मोटी डील की है कि तुम्हारा नाम इस मामले में नहीं आने देंगे. मामले को हल्का बना देंगे.
डॉक्टर मनीष कुमार ने यह भी बताया कि इन बड़े दलालों ने NCB की कुछ काली भेड़ों से बात भी की थी. लेकिन इन बड़े दलालों की NCB की कुछ काली भेड़ों से इस बातचीत की जानकारी सबूतों के साथ एजेंसियों को भी मिल गयी है.
यही कारण है कि NCB के DG राकेश अस्थाना दो दिन पूर्व आकस्मिक रूप से अचानक दिल्ली से मुम्बई गए थे और NCB के अफसरों की टीम के साथ लम्बी आपात मीटिंग की थी. मुम्बई में चल रहे NCB के "ऑपरेशन बॉलीवुड" में अगले कुछ दिनों में अन्य राज्यों से तेजतर्रार अधिकारियों की बड़ी टीम भी बुला ली गयी है.
अतः लुटियनिया मीडिया के कुछ बड़े दलालों की दाल अब NCB की कार्रवाई में नहीं गल पा रही है. इसलिए हाथरस की घटना पर सरासर सफ़ेद झूठ का हुड़दंग और हंगामा कुछ लुटियनिया न्यूजचैनलों और अखबारों पर जमकर किया जा रहा है. ताकि दिल्ली और उत्तरप्रदेश में जातीय दंगे की भयानक आग भड़कवा कर सरकार पर जबर्दस्त दबाव बनाया जाए और उसके ऑपरेशन मुम्बई को किसी तरह से रुकवाया जाए.
ध्यान रहे कि सालाना लगभग 25 हजार करोड़ के धंधे वाले बॉलिवुड के इस धंधे पर जिन मगरमच्छों का क़ब्ज़ा है. उन मगरमच्छों को बचाने के लिए लुटियनिया मीडिया के दलालों ने कितनी मोटी कितनी बड़ी डील की होगी इसका अनुमान आप आसानी से लगा सकते हो...
हाथरस की मृतक युवती और उसके परिवार के ऊपर जो बीत रही है उसका दर्द कोई दूसरा नही जान सकता, लेकिन इस दुर्भाग्यपूर्ण अपराध पर जो लोग गिद्ध और सियार बनकर अपने राजनैतिक हित साधना चाह रहे हैं उन्हें सब जरूर पहचान रहे हैं।
यहां गिद्ध की भूमिका में अगर कुछ राजनैतिक पार्टियों के लोग हैं तो सियार की भूमिका में मीडिया भी अपना काम बखूबी कर रहा है और नित नए संवेदनशील झूठ परोस रहा है।
जिस पार्टी का मुखिया बलात्कार जैसी घटना को “लड़कों से गलती हो जाती है" कहकर मखौल उड़ाता था आज उस पार्टी के नेता भी गिद्ध की भूमिका में हैं।
राजस्थान में जिस पार्टी के राज में जघन्य बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं उस पार्टी को भी राजस्थान नही बल्कि उत्तरप्रदेश की घटना में दिलचस्पी है।
एक नया #नीली_टोपी_वाला_जातिगत_नेता जिसे हर वह बलात्कार दिखाई नही देता जिसमे आरोपी जेहादी होता है लेकिन उसकी हर उस अपराध में दिलचस्पी होती है जहां अपराधी हिन्दू होता है।
कुल मिलाकर #गिद्धों_और_सियारों को पहचानिए...बाकी जिनके ऊपर इस प्रदेश की जिम्मेदारी है जिन्हें अपराधियों को पकड़कर पीड़ित परिवार को न्याय देना है वह उस दिशा में गभीर कार्यवाही कर रहे हैं।
मज़ा ख़राब हो गया कुछ का!
रात भर शव रखो। रात भर में whatsaap groups के ज़रिए 50 गाँव से लोग आते। विपक्ष आता नारेबाज़ी करने और कुछ आते पत्थर चलाने। सत्ता पक्ष के भी प्रतिनिधि आते रफू करने।
वापस जाओ वापस जाओ के नारे लगते। शव का अंतिम संस्कार ना होता। शव रख कर शर्त रखी जाती की योगी आए। पारा गरम होता और दो चार पुलिस की गाड़ी जलतीं।
OB वैन अपना काम कर रही होतीं। विपक्ष अपना। आसामाजिक तत्व अपना। बच्ची और इंसाफ़ से किसी को मतलब नही। तब भी योगी गाली खाता। एंकाउंटर करो तो समस्या ना करो तो।
मज़ा ख़राब हो गया ...कुछ का मज़ा ख़राब हो गया। अब कुछ कहेंगे कि मुझे बच्ची या बच्ची के परिवार से सहंभूति नही। हाल में ही यह सब सुना है मैने।
स्वयंसेवक राजेश