Rina Jain
*It was 23rd March 2020 , when Lockdown started in India* .. No one was knowing at that time what was written in future.. Everyone was clueless.. After Many setbacks *above 68 lakhs humans lost life worldwide* , We those are seeing March 2023 are Thankful to God for this Life ..and Life is getting smooth for All...!! *Love u Zindagi* .❤️
Ranjeet Rai
पोस्ट थोड़ी लंबी है पर अगर आप पढ़ोगे तो आपको मजा अवश्य आएगा।
चाहे भारत की डीआरडीओ जैसी हथियार बनाने और हथियार डेवलप करने वाली संस्था हो या फिर इसरो जैसी दुनिया की यूनिक स्पेस एजेंसी हो इन दोनों एजेंसियों के वैज्ञानिक अब हाथ धोकर ऐसे कारनामों को करने में जुड़ चुके हैं जिसे या तो गिने चुने केवल एक दो देशों ने किया है या फिर किसी देश ने आज तक किया ही नहीं है और हाल ही में इंडियन स्पेस एजेंसी इसरो ने एक ऐसी जीत हासिल की है जिससे दुनिया के बड़े-बड़े देश सदमे में चले गए हैं। दरअसल यह खबर आज ही निकल कर आ रही है कि इसरो ने विज्ञान का चमत्कार दिखाते हुए पहली बार अंतरिक्ष में किसी सीड्स यानी की बीज को ग्रो किया है और इसरो ने खुद इस बात की जानकारी दी है की पहली बार चार दिन के अंदर बीज को अंतरिक्ष में ऐसी जगह अंकुरित किया है जहां पर माइक्रो ग्रेविटी यानी कि ना के बराबर ग्रेविटी होती है और आपको बता दें कि यह इसरो के लिए इतनी बड़ी जीत है कि केवल इसी एक कारनामे के बाद अब अमेरिका ऑस्ट्रेलिया और रूस जैसे देशों की कंपनियां इसरो के साथ काम करने के लिए लाइन में खड़ी होती हुई दिखाई दे रही हैन। पूरी डेवलपमेंट क्या है इस वीडियो में समझते हैं लेकिन इसरो ने यह चमत्कार वाला कारनामा करके भारत वासियों का दिल जीत लिया है।
दरअसल आज के समय में देखा जाए तो अमेरिका की स्पेस एक और नासा से लेकर रूस और चीन जैसे सभी कंट्रीज की बड़ी-बड़ी अंतरिक्ष एजेंसियां चंद्रमा और मंगल जैसे ग्रहों पर जीवन की तलाश कर रही है यहां तक की मंगल और चंद्रमा जैसे प्लेनेट और सेटेलाइट पर जीवन संभव बन जाए उसके लिए वह अरबों डॉलर यूं ही लुटाए जा रहे हैं जैसे कि मानो अंतरिक्ष के अन्य प्लेनेट और सैटेलाइट को अपनी मुट्ठी में लेने की तैयारी कर रहे हो लेकिन भारत की स्पेस एजेंसी इसरो भी इस मामले में अपना कदम पीछे हटाने के लिए तैयार नहीं है और इस दौड़ में बहुत ही तेजी के साथ हमारी इसरो दौड़ रही है लेकिन फर्क सिर्फ इतना है कि जहां एक तरफ अमेरिका की नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसियां 25 से 30 अरब डॉलर हर साल अपना बजट बना रही है वही हमारी इसरो सालाना डेढ़ से दो अरब डॉलर के बजट में ही वह कारनामे कर रही है जिससे बड़ी-बड़ी स्पेस एजेंसियां सच में हैरानी में पड़ गई है कि आखिरकार इतने कम बजट में इसरो इतने भारी भरकम रॉकेट को कैसे लांच कर पाता है और हाल ही में इसरो की चर्चा एक बार फिर से इसलिए शुरू हो गई है क्योंकि साल 2023 में तो हमने अनेकों मुसीबत का सामना करते हुए चांद पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग कराई उसके बाद मिशन सूर्य के तहत आदित्य l1 सेटेलाइट को भेजो जो कि आज भी सूरज के बारे में स्टडी कर रहा है लेकिन कहते हैं ना की मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है। पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है इसी तरह हमारे इसरो के कारनामे बुलंद है। इसलिए सालाना बजट भले ही कमजोर है लेकिन इरादे और मकसद अंतरिक्ष की ऊंचाई छूने वाले हैं इसीलिए हम और आप जब पटाखे फोड़ कर 2024 के जाने और नए साल के आने का इंतजार कर रहे थे तो उसे समय इसरो ने अंतरिक्ष में दो सैटेलाइट को पहली बार आपस में जोड़कर एक नया इतिहास रच दिया क्योंकि यह तकनीक भी कुछ गिने चुने देशों के पास ही थी लेकिन अब यह तकनीक हमारे पास भी आ चुकी है और दो स्पेसक्राफ्ट को आपस में जोड़ने और डॉक करने की टेक्नोलॉजी हमारे पास आ गई है तो इसी तकनीक के जरिए हम रशिया की तरह अपना भी एक स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में बना लेंगे और जैसे ही इसरो ने अपना खुद का स्पेसस्टेशन बनाया तो इसके बाद चंद्रमा पर इंसानों को भेजना हो या फिर मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं को ढूंढना हो यह हमारी इसरो के लिए और भी आसान होने वाला है। इसके अलावा जब बात होती है अंतरिक्ष में पौधे उगाने की तो इसरो ने अब यह भी करके दिखा दिया है और इस मामले में भी हमारा भारत पीछे नहीं है और हाल ही में इसरो ने इस बात की जानकारी दी है कि अब अंतरिक्ष में भी जीवन पर अपना काम शुरू हो गया है और इसरो ने पहली बार अंतरिक्ष में जहां पर ग्रेविटी ना के बराबर होती है वहां पर बीज जिसे लोबिया कहा जाता है इसके बीज को चार दिन के भीतर अंकुरित करके दिखा दिया है और जल्द ही इसमें पट्टी निकालने की उम्मीद है जिससे इसरो ने यह साबित कर दिया है कि अंतरिक्ष में भी खेती संभव है और भारत के लिए यह कितनी बड़ी जीत है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि आज तक रूस और अमेरिका केवल दो ही ऐसे देश है जो कि अंतरिक्ष में पौधे उगा पाए हैं। इसके अलावा चीन और यूरोपीय देश जो कि अपने आप को बहुत बलवान समझते हैं और टेक्नोलॉजी के मामले में इन दोनों देशों के वैज्ञानिक अपने आप को सबसे बड़ा हीरो समझते हैं वह खुद आज तक अंतरिक्ष में पौधा उगाने की तो बात छोड़िए किसी बीज को अंकुरित भी नहीं कर पाए हैं यानी कि रूस और अमेरिका वाली इस लिस्ट में भारत भी शामिल हो चुका है और भारत अंतरिक्ष में पौधा उगाने वाला तीसरा देश बन चुका है। लेकिन अब सवाल खड़ा होता है कि चलिए ठीक है हम तो अंतरिक्ष में पौधे उगा सकते हैं लेकिन इससे हमारा फायदा क्या होगा तो इसके लिए आपको बता दे कि इसके इतनी ज्यादा फायदे हैं जिसे शायद ही आपने कभी सोचा होगा सबसे पहली बात तो यह है कि जब अंतरिक्ष के मिशनों कोहम अंजाम देंगे तो स्पेस स्टेशन में जो अंतरिक्ष यात्री रहेंगे अगर उन्हें ताजा भोजन चाहिए तो वह अपने लिए खुद फल और सब्जियां उगा सकते हैं जिससे पृथ्वी से निर्भरता कम हो जाएगी और लंबे अंतरिक्ष मिशनों जैसे की मंगल या चंद्रमा मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों के लिए ताजा भोजन उपलब्ध कराना संभव होगा। वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर मंगल पर इंसानों को भेजना है तो उसे यात्रा में काम से कम 6 से 9 महीने का समय लग सकता है ऐसे में सीधी सी बात है कि 9 महीने के लिए भोजन तो किसी अंतरिक्ष यात्री को पृथ्वी से भेजा जा नहीं सकता उन्हें खुद अपने लिए भोजन की व्यवस्था करनी होगी और उस समय माइक्रो ग्रेविटी में पौधे उगाने वाली यही तकनीक काम आएगी। फिलहाल अगर मंगल पर जाने की सोच को दूर भी रखा जाए तो इसके अलावा माइक्रो ग्रेविटी में पौधों के डेवलपमेंट की स्टडी करके पृथ्वी पर निर्भरता कम करके अन्य विषम परिस्थितियों में भी खेती के नए तरीके खोजे जा सकते हैं। यहां यह सब बताने का मतलब यह है कि यह एक भले ही छोटा सा एक्सपेरिमेंट है लेकिन यह आने वाले समय में बहुत ही ज्यादा उपयोगी और फायदेमंद हो सकता है और इस तरीके की तकनीक के बारे में पूरी तरीके से स्टडी करके भारत की इसरो सफलतापूर्वक कामयाबी हासिल कर लेती है तो जाहिर सी बात है कि एलन मस्क की स्पेस एक एजेंसी जो की मंगल ग्रह पर इंसानों को भेजने की तैयारी बना रही है वह भारत की स्पेस एजेंसी इसरो की मदद लेगी जिससे इस तरीके के बड़े प्रोजेक्ट में शामिल होने से भारत का झंडा मंगल ग्रह पर तो लहराएगा ही साथ ही इससे इसरो को काफी ज्यादा पैसा भी मिलेगा।
आपको मैं यहां यह बताना चाहूंगा कि इंडियन स्पेस एजेंसी इसरो की ऑलरेडी डिमांड अमेरिका जैसे देश में चल रही है इसका अंदाजा आप इसी खबर को देखकर लगा सकते हैं कि हाल ही में इसरो के द्वारा यूनाइटेड स्टेट की एक सैटेलाइट लॉन्च की जाएगी और उसे सैटेलाइट का इस्तेमाल करके अंतरिक्ष यात्री भी फोन कॉल के जरिए बात कर पाएंगे यानी कि इस बात में दो राय नहीं है कि आने वाले समय में अमेरिका भी काफी सैटेलाइट लॉन्च करने और अंतरिक्ष मिशन के लिए भारत को प्रोजेक्ट सोंपगा और क्योंकि एक-एक सेटेलाइट की लॉन्चिंग की कीमत ही कई 100 करोड रुपए में होती है तो इससे इसरो को एक मोटा पैसा मिलने की उम्मीद भी है। बाकी आप लोग कमेंट बॉक्स में इसरो की इस जीत के लिए बधाई जरूर दें।
लिंक कमेंट बॉक्स में उपलब्ध है।