Pt Anil Katiha
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के सामने
कुछ प्रस्तुति और कुछ सवाल -
(My Right to Dissent) -
इस लेख के माध्यम से कोरोना मामले
पर अपने साथी जजों के साथ सुनवाई
कर रहे बेंच के प्रमुख जस्टिस चंद्रचूड़
के सामने मैं कुछ बातें रखना चाहता
हूँ और कुछ सवाल भी करना चाहता
हूँ -
29 अप्रैल के अपने लेख में मैंने लिखा
था कि कुछ अदालतों के न्यायाधीश
भद्दी और तल्ख़ टिपण्णी कर रहे हैं
खासकर जस्टिस सांघी की टिपण्णी
का जिक्र किया था जिसमे उन्होंने
सरकार से कहा था --भीख मांगो,
उधार लो या चोरी करो --
अगले दिन ASG तुषार मेहता ने ये
मसला आपकी बेंच के सामने उठाया
तो आपने कहा कि हर स्तर पर संयम
होना चाहिए -
मुझे लगा मेरी बात सही जगह पहुँच
गई और नोटिस कर ली गई -
लेकिन कल चुनाव आयोग के बारे में
मद्रास हाई कोर्ट की टिपण्णी को, जिसमे
आयोग को कोरोना का दोषी और लोगों
का हत्यारा कहा गया, आपने कड़वी दवा
बता कर सही ठहरा दिया --मतलब एक
इन में संयम की बात ख़तम हो गई --
मद्रास हाई कोर्ट को सही ठहराते हुए
आप एक बात भूल गए कि चुनाव आयोग
एक संवैधानिक संस्था है, ना कि कोई
बड़भूजे की दुकान --मद्रास हाई कोर्ट
स्वयं भी पूरे चुनाव प्रचार में चुप बैठा
रहा, जो उसे खुद को भी दोषी
ठहरता है --
परसों आपने केंद्र से कहा कि 4 दिन
में ऑक्सीजन का बफर स्टॉक तैयार
करो, 15 दिन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति
तैयार हो और किसी अस्पताल में
आधार कार्ड के बिना मरीज के दाखिल
करने पर मनाही ना हो --
अस्पतालों में मरीज भर्ती करने के लिए
राज्य भी कुछ करेंगे या नहीं --इतने
शीघ्र आदेशों के पालन कराने के हुकुम
देते हुए कभी ये भी विचार हो जाना
चाहिए कि कितने कितने सालों से
अदालतों में मुक़दमे लंबित पड़े हैं --
और फिर राष्ट्रीय नीति पर राज्य सरकारें
अमल नहीं करेंगी तो क्या होगा -कुछ
उदहारण देता हूँ जिनमे राज्यों ने क्या
गुल खिलाये हैं --
1) आयुष्मान भारत योजना गरीबों को
5 लाख का इलाज देने वाली योजना
2018 में केंद्र ने शुरू की --दिल्ली ने
इसे मार्च, 2020 में लागू किया, बंगाल,
ओडिशा और तेलंगना ने लागू नहीं की -
इन राज्यों में लागू करवाएंगे क्या ?
2) संसद से पारित CAA कानून को
लागू करने के लिए 7 राज्यों ने मना
कर दिया --और अभी तक सुप्रीम
कोर्ट ने इस पर कोई फैसला नहीं
दिया है --क्या संसद के कानून का
राज्य ऐसे मखौल उड़ा सकते हैं;
3) कृषि कानून भी संसद ने पारित
किये थे जिनके खिलाफ आपकी
अदालत कथित किसानो को 120
दिनों से सड़कों पर बैठ कर सबको
परेशान करने की अनुमति दिए हुए
है, उनका हिंसक तांडव देखते रहे
26 जनवरी को और अब उन्हें गैर
कानूनी पक्के घर बनाने के लिए
इज़ाज़त दे रही हैं;
4) देश के 8 राज्यों ने केंद्रीय जांच
एजेंसी CBI के लिए अपने दरवाजे
बंद किये हुए हैं और उनकी इस
हरकत को आपकी अदालत ने
सही करार दिया हुआ है --क्या खुल
कर भ्रष्टाचार करने की अनुमति
दी गई है इस तरह -
5) आज सुप्रीम कोर्ट समेत कई
हाई कोर्ट कोरोना को लेकर स्वतः
संज्ञान लिए हुए सुनवाई कर रहे हैं
मगर कोलकत्ता हाई कोर्ट 2 दिन से
बंगाल में हो रहे हिंसा के तांडव को
खामोश देख रहा है --
आपका कोर्ट भी 5 साल ममता के
तांडव को आँखे बंद करके देखता
रहा, कभी स्वतः संज्ञान ले कर
कार्रवाई नहीं की लेकिन यदि
राष्ट्रपति शाशन लग जाता तो दिन
रात एक हो जाते अदालत में -
6) RERA कानून 2016 में संसद ने
पास किया लेकिन ममता ने अभी तक
लागू नहीं किया --आज आपने आदेश
दिया है उसे बंगाल में लागू करने के
लिए लेकिन अनेक राज्यों ने इसे
अभी भी लागू नहीं किया है -
कोरोना एक ऐसा विषय है या कहिये
तो ऐसा युद्ध है जिससे लड़ने के लिए
अदालतों को सरकार से सहयोग करना
चाहिए -
(सुभाष चन्द्र)
"मैं वंशज श्री राम का"
04/05/2021
हर्ष वर्मा नीम मूषक मित्र
पाक आर्मी अपने 93 हजार सैनिकों को यूक्रेन भेजेगी
जो
यूक्रेन आर्मी को सिखायेंगे कि सरेंडर कैसे करें...
Amit Kishore Kapoor
. ॐ परमात्मने नम:
श्री गणेशाय नम:
#राधे कृष्ण
( मन के निग्रह का विषय )
अर्जुन उवाच
योऽयं योगस्त्वया प्रोक्तः साम्येन मधुसूदन।
एतस्याहं न पश्यामि चञ्चलत्वात्स्थितिं स्थिराम्॥
चञ्चलं हि मनः कृष्ण प्रमाथि बलवद्दृढम्।
तस्याहं निग्रहं मन्ये वायोरिव सुदुष्करम्॥
. ( श्रीमद्भगवद्गीता ६/३३, ३४ )
हिन्दी अनुवाद : -
अर्जुन बोले- हे मधुसूदन! जो यह योग आपने समभाव से कहा है, मन के चंचल होने से मैं इसकी नित्य स्थिति को नहीं देखता हूँ।
क्योंकि हे श्रीकृष्ण! यह मन बड़ा चंचल, प्रमथन स्वभाव वाला, बड़ा दृढ़ और बलवान है। इसलिए उसको वश में करना मैं वायु को रोकने की भाँति अत्यन्त दुष्कर मानता हूँ।
व्याख्या : -
हे मधुसूदन! यह योग जो आप पहले बता आये हैं, जिसमें समत्व भावदृष्टि मिलती है, मन के चञ्चल होने से बहुत समय तक इसमें ठहरने वाली स्थिति में मैं अपने को नहीं देखता।
हे कृष्ण! यह मन बड़ा चंचल है, प्रमथन स्वभाव वाला है ( प्रमथन अर्थात् दूसरे को मथ डालने वाला है ), हठी तथा बलवान है, इसलिये इसे वश में करना मैं वायु की भांति अतिदुष्कर मानता हूँ। तूफानी हवा और इसे रोकना बराबर है।
इस पर योगेश्वर श्रीकृष्ण का प्रतिउत्तर कथन अगले सत्र में मित्रों-
हरि ॐ तत्सत हरि:
#ॐ गुं गुरुवे नम:
#राधे_राधे राधे, बरसाने वाली राधे, तेरी सदा हि जय हो #माँ |
शुभ हों दिन रात सभी के |
Vijay Verma
Sir, hum comments nahi kar pa rahe h. Aur na hi comments ko read kar pa rahe h.